Babulal marandi Attack on Hemant Soren: झारखंड (Jharkhand) में सबकी निगाहें राजभवन पर टिकी हैं. राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) निर्वाचन आयोग (Election Commission) की अनुशंसा के आधार पर शुक्रवार को किसी भी वक्त आदेश जारी कर सकते हैं. ऐसे में विधायकी जाने पर हेमंत सोरेन (Hemant Soren) को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ेगा. झारखंड में जारी सियासी संकट के बीच रजनीतिक दलों में बयानबाजी का दौर भी शुरू हो चुका है. बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने सीएम हेमंत सोरेन पर निशाना साधा है.
'जनसमर्थन कैसे खरीद पाओगे'
बता दें कि, विधायक के तौर पर लाभ के पद के लिए अयोग्य ठहराए जाने की प्रक्रिया का सामना कर रहे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बृहस्तिवार को इस विवाद के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया था. हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा था कि, ''संवैधानिक संस्थानों को तो खरीद लोगे, जनसमर्थन कैसे खरीद पाओगे? झारखण्ड के हमारे हजारों मेहनती पुलिसकर्मियों का यह स्नेह और यहाँ की जनता का समर्थन ही मेरी ताकत है. हैं तैयार हम! जय झारखण्ड!''
'रिश्वत लेना तो सोरेन परिवार के डीएनए में'
सीएम हेमंत सोरेन की इसी बात पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर कहा है कि, ''ख़रीदना-बेचना, मैनेज करना, रिश्वत लेना तो सोरेन परिवार के डीएनए में रहा है. चाहे अलग राज्य लेने का सवाल हो या और कुछ. इसलिये जो लोग ऐसा करते रहे हैं उनकी सोच दूसरों के बारे में भी वैसी ही होती है.''
बीजेपी ने लगाया आरोप
गौरतलब है कि, हेमंत सोरेन ने सीएम पद पर रहते हुए अपने नाम पर माइन्स को लीज पर लिया था. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और बीजेपी ने इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट और जन प्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन बताते हुए राज्यपाल रमेश बैस को लिखित शिकायत की थी. इस पर राज्यपाल ने केंद्रीय निर्वाचन आयोग से मंतव्य मांगा था. खबरों के मुताबिक, निर्वाचन आयोग ने इस मुद्दे पर सुनवाई के बाद राज्यपाल को भेजे गए मंतव्य में हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है.
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बताया जा रहा है कि, चुनाव आयोग के मंतव्य पर राज्यपाल का आदेश जारी होते ही हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता खत्म हो जाएगी. ऐसी स्थिति में उन्हें इस्तीफा देना पड़ेगा. चूंकि, हेमंत सोरेन जिस गठबंधन के नेता हैं, उसका विधानसभा में बहुमत है, इसलिए इस्तीफे के बाद वो नए सिरे से सरकार बनाने का दावा पेश कर फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं. अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि हेमंत सोरेन को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया गया है नहीं. अगर आयोग ने उन्हें अयोग्य करने की अनुशंसा की तो उनका मुख्यमंत्री बने रह पाना मुश्किल होगा.
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