झारखंड में शनिवार का दिन दो बड़ी सियासी रैलियों के नाम रहा. एक तरफ देवघर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीजेपी  की विजय संकल्प रैली में राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर तीखे प्रहार किए, तो दूसरी तरफ धनबाद में झामुमो के 51वें स्थापना दिवस पर आयोजित रैली में सीएम हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार और बीजेपी  पर जवाबी हमला बोला.


हेमंत सोरेन ने धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए कहा कि बीजेपी को केवल व्यापारियों की चिंता है, जबकि हमारी सरकार आदिवासियों-मूलवासियों, गरीबों, पिछड़ों, दलितों, किसानों के लिए काम करती है. हम ऐसे लोगों का पेट भरने से लेकर उन्हें राज्य की नौकरियों में हक दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं.


हमारी सरकार ने स्थानीय युवाओं को हक देने के लिए 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय और नियोजन नीति लाई तो इसे राज्यपाल ने उसे असंवैधानिक बताकर वापस लौटा दिया, जबकि ऐसा ही कानून कर्नाटक की सरकार ने बनाकर अपने राज्य के लोगों का आरक्षण बढ़ाया तो वहां के राज्यपाल ने इसे मंजूरी दे दी. यह अजीब स्थिति है. हम यहां के लोगों को अधिकार देने के लिए कानून बनाते हैं तो बिहार-यूपी और बाहरी लोगों के पेट में दर्द होने लगता है. सबसे अधिक झारखंडी बाहर मजदूरी कर रहे हैं और बाहर के लोगों ने झारखंड को चरागाह बना दिया है.


सोरेन ने कहा कि जिस तरह मेरे पिता गुरुजी को जीवन भर कोर्ट कचहरी का चक्कर कटवाया, जेल भिजवाया, आज फिर वही हो रहा है. जैसे गुरुजी लड़े, हम भी लड़ रहे हैं. कोर्ट-कचहरी सिर्फ सोरेन परिवार पर होता है. उन्हें मालूम है कि सोरेन परिवार के रहते इनकी दाल नहीं चलेगी. आदिवासी- मूलवासी की सरकार बने और चले, यह इन्हें मंजूर नहीं है.


जब इन्होंने अपने लोगों को पांच साल नहीं चलने दिया तो यह कैसे बर्दाश्त होगा कि हमारी सरकार पांच साल चले. लेकिन आदिवासी अब बोका (मूर्ख) नहीं रहा. हम उन्हें मुंहतोड़ जवाब देंगे. चुनावी मैदान में वे हमारे खिलाफ नहीं टिक पा रहे तो तरह-तरह की साजिशें रच रहे हैं. कोल कंपनियों पर झारखंड के अरबों रुपये बकाया रहने का मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमने बकाया मांगा तो हमारे पीछे ईडी-सीबीआई को लगा दिया गया.


अपनी सरकार की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार बनते ही कोविड महामारी फैल गई, लेकिन हमने बेहतर प्रबंधन से झारखंड को इससे बाहर निकाला. मजदूरों को हवाई जहाज से मंगवाया. दो साल बाद जब जीवन पटरी पर लौटा तो हमने विकास को गति दी. यह हमारे विरोधियों और विपक्षियों को बर्दाश्त नहीं हो रहा है.


रैली को झामुमो सांसद महुआ माजी, विधायक मथुरा महतो, सुदिव्य कुमार सोनू सहित कई नेताओं ने संबोधित किया. रैली स्थल पर सुबह से झामुमो समर्थक ढोल-नगाड़ों के साथ पहुंचते रहे. सैकड़ों कार्यकतार्ओं ने हेमंत सोरेन का मुखौटा पहन रखा था. जिस गोल्फ ग्राउंड में झामुमो की रैली हुई, उसी स्थान पर वर्ष 1973 में आज ही के दिन झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना हुई थी.


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