Jharkhand By Poll 2023: झारखंड में पक्ष-विपक्ष के सियासी खेमे एक और चुनावी अग्नि परीक्षा के लिए तैयार हो चुके हैं. रांची से सटे रामगढ़ विधानसभा की सीट पर 27 फरवरी को होने वाले उपचुनाव के लिए अधिसूचना 31 जनवरी को जारी होगी और इसके साथ ही नामांकन के पर्चे भरने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. राज्य में 2019 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद यह पांचवां उपचुनाव है. 2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहलेइस उपचुनाव को सियासी नजरिए से बेहद अहम माना जा रहा है.
इस सीट पर 2019 में जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस की ममता देवी को हजारीबाग जिले की कोर्ट ने एक आपराधिक मामले में बीते 13 दिसंबर को सात साल की सजा सुनाई थी और इसके बाद उनकी विधायकी निरस्त कर दी गई थी. इस वजह से यहां उपचुनाव कराए जा रहे हैं. यहां सात फरवरी तक नामांकन के पर्चे भरे जा सकेंगे. 8 फरवरी को नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी होगी और 10 फरवरी तक नाम वापस लिए जा सकेंगे. 27 फरवरी को वोट पड़ने के बाद दो मार्च को मतगणना कराई जाएगी.
चर्चा है कि कांग्रेस की ओर से ममता देवी के पति बजरंग महतो इस सीट पर प्रत्याशी बनाए जा सकते हैं. हालांकि कुछ अन्य नामों पर चर्चा चल रही है. दूसरी तरफ एनडीए फोल्डर से आजसू पार्टी ने गिरिडीह के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता देवी कोउतारने की तैयारी कर ली है. आजसू ने बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व के साथ इस मुद्दे पर विमर्श भी किया है. वह 2019 के विधानसभा चुनाव में भी आजसू की प्रत्याशी थीं, लेकिन पराजित हो गई थीं.
इस चुनाव में एनडीए फोल्डर में फूट पड़ गई थी और बीजेपी ने भी अपना प्रत्याशी उतार दिया था. इस बार संभावना यही है कि सुनीता देवी एनडीए की साझा प्रत्याशी होंगी. उधर झारखंड पार्टी ने राज्य के पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार कोअपना प्रत्याशी बनाने की घोषणा कर दी है.
यह उपचुनाव राज्य में झामुमो की अगुवाई वाले सत्तारूढ़ गठबंधन और एनडीए दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल माना जा रहा है. इसकी वजह यह है कि 2024 के विधानसभा चुनाव के पहले यह दोनों खेमों के लिए लिटमस टेस्ट की तरह होगा. एक तरफ हेमंत सोरेन की सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाएगी तो दूसरी तरफ विरोधी खेमा यानी एनडीए उसकी नाकामियों को मुद्दा बनाकर वोट मांगेगा.
इसके पहले 2019 के बाद राज्य में चार विधानसभा सीटों दुमका,बेरमो, मधुपुर और मांडर में अलग-अलग वजहों से उपचुनाव कराए गए हैं और इन सभी सीटोंपर सत्तारूढ़ गठबंधन ने जीत दर्ज की है. यह पांचवां उपचुनाव भी सत्तारूढ़ दल के खाते में जाता है तो बीजेपी खेमे के ऊपर मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ जाएगा. इसलिए बीजेपी यानी एनडीए भी इस उपचुनाव में कोई कसर छोड़ने के मूड में नहीं है.
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