Ranchi: सब्जियों का बंपर उत्पादन करने वाले झारखंड के किसान खून के आंसू रो रहे हैं. सब्जियों के उत्पादन में उनकी कुल 'लागत और मेहनत' बाजार में 'टके सेर' के भाव नीलाम हो रही है. हरी भिंडी, करेला, पालक, बैंगन, लौकी, खीरा जैसी सब्जियों का भाव आढ़तिए और बिचौलिए एक रुपये किलो भी लगाने को तैयार नहीं. इससे नाराज होकर हजारीबाग जिले के बड़कागांव मंडी में कई किसानों ने दो दिन पहले सैकड़ों किलो भिंडी सड़क पर बिखेर दी. इसी इलाके के सैकड़ों किसान सब्जियों को बाजार पहुंचाने के बजाय उसे पशुओं को खिला रहे हैं.


नहीं मिल रहा सही दाम
रांची जिले के इटकी, बेड़ो, ठाकुरगांव, ब्रांबे, पिठौरिया, रातू और मांडर, रामगढ़ जिले के गोला, चितरपुर, सोसो, पोना, कोडरमा जिले के डोमचांच, फुलवरिया, पुरनाडीह, धरगांव, चतरा जिले के इटखोरी, सिमरिया, पत्थलगड्डा, गिद्धौर, लातेहार जिले के बालूमाथ और बरियातू, हजारीबाग जिले के बड़कागांव, केरेडारी, चुरचू, कटकमसांडी सहित कई अन्य इलाकों में हरी सब्जियों का जबर्दस्त उत्पादन हुआ है. गोला के किसान सुनील महतो कहते हैं कि इस बार मौसम ने साथ दिया तो सब्जियां खूब हुईं. हमें उम्मीद थी कि हमें हमारी मेहनत और लागत की भरपूर कीमत मिलेगी, लेकिन इसके विपरीत थोक खरीदार किसी सब्जी की कीमत रुपये-दो रुपये प्रति किलो से ज्यादा देने को तैयार नहीं.


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भिंडी के नहीं मिल रहे दाम
बड़कागांव के सांढ़ गांव के किसान उगन महतो और दिनेश कुमार महतो का कहना है कि उन्हें भिंडी का उचित दाम नहीं मिल रहे हैं. स्थानीय खुदरा बाजार में भिंडी तीन से चार रुपये किलो बिक रही है, लेकिन यह बाजार इतना बड़ा नहीं है कि सारी फसल खप सके. दूसरी तरफ बिचौलिए और थोक विक्रेता भिंडी का भाव मात्र एक रुपये प्रति किलो लगा रहे हैं. सब्जी उपजाने और उसे बाजार तक लाने में सात से आठ रुपये की लागत आती है. ऐसे में अब ज्यादातर किसान फसल मवेशियों को खिला रहे हैं या खेत में ही छोड़ दे रहे हैं.


दो सप्ताह पहले तक भिंडी की कीमत थी 20-30 रुपये किलो
रांची के खुदरा सब्जी हाटों की बात करें तो आलू, प्याज और टमाटर को छोड़कर हर तरह की सब्जी पांच से लेकर दस-पंद्रह रुपये प्रति किलोग्राम के भाव बिक रही है. दो सप्ताह पहले तक रांची के खुदरा बाजार में भिंडी 20 से 30 रुपया प्रति किलो, करैला 25 से 30 रुपये, लौकी 15 से 20 रुपये, खीरा 10 से 15 रुपये, मूली 20 रुपये, बैगन 20 से 30 रुपये किलो बिक रहा था.


बिचौलियों को बेचने को मजबूर
रांची के धुर्वा स्थित सब्जी हाट में करेला, भिंडी, लौकी और बैगन बेचने पहुंचे पिठौरिया के अमीनुल अंसारी ने बताया कि इलाके से निकलने वाली ज्यादातर सब्जियां बाहर के राज्यों और शहरों में जाती हैं, लेकिन कौन सी सब्जी कितने में खरीदी जायेगी, यह बिचौलिए ही तय करते हैं. पिछले बीस दिनों से किसी भी सब्जी का थोक भाव दो से पांच रुपये प्रति किलो से ज्यादा नहीं है. खुदरा बाजार से थोड़ी-बहुत लागत निकल रही है, लेकिन यहां सब्जियां की खपत की एक सीमा है. ऐसे में किसान बिचौलियों की ओर से तय रेट पर सब्जियां बेचने को मजबूर हैं.


सब्जियां हो रही हैं खराब
सब्जी विक्रेता नरेश दांगी कहते हैं कि हम लोग खुद बड़े शहरों और राज्यों में सब्जियां बेच नहीं सकते. स्थानीय मंडी ही सहारा है लेकिन यहां लागत और मेहनत के बराबर भी दाम नहीं मिल रहा. रांची के इटकी बाजार के स्थानीय पत्रकार गोविंद बताते हैं कि 2020 के लॉकडाउन के बाद सबसे कम कीमत पर सब्जियां बिक रही हैं. इसके बाद भी सब्जी विक्रेताओं के पास खरीदार नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में कई किसानों और दुकानदारों के यहां भी सब्जियां सड़ जा रही हैं.


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