Jharkhand High Court Rape Victim Abortion: 19 साल की नेत्रहीन रेप पीड़िता (Rape Victim) युवती का गर्भपात (Abortion) कराने के लिए दायर याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand Highcourt) ने रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) के निदेशक को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया है. युवती की मेडिकल रिपोर्ट सील सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में आज यानी 12 सितंबर को प्रस्तुत की जाएगी साथ ही मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर निर्धारित की गई है. इतना ही नहीं कोर्ट ने राज्य सरकार को पीड़िता को शेल्टर होम या फिर ऐसी जगह शिफ्ट करने का निर्देश दिया गया है, जहां उसकी समुचित देखभाल हो सके. पीड़िता की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मेडिकल जांच कराई गई थी, जिसमें उसे 28 सप्ताह का गर्भ बताया गया है.


इलाज के लिए नहीं है पैसे 
आदिवासी समुदाय से आने वाली पीड़िता नगड़ी थाना क्षेत्र में रहती है. जब वो नाबालिग थी तो वर्ष 2018 में भी उसके साथ रेप की घटना हुई थी. इससे संबंधित मामला निचली अदालत में चल रहा है. उसके साथ दूसरी बार रेप की घटना इसी साल तब हुई, जिसकी वजह से वो 28 सप्ताह की गर्भवती बताई जा रही है. पीड़िता के पिता रिक्शा चालक हैं, उसकी मां का निधन हो गया है. उसके पिता जब काम पर गए थे, तब घर में अकेली पाकर किसी ने उसके साथ रेप किया. वो गरीबी रेखा से नीचे आती है. इलाज के लिए भी उसके पास पैसे भी नहीं है. 


'गर्भपात कराना सुरक्षित है या नहीं'
गर्भवती हो जाने पर पीड़िता ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर गर्भपात कराने के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने का आग्रह किया है, ताकि सुरक्षित गर्भपात हो सके. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने रिम्स निदेशक को निर्देश दिया है कि मेडिकल बोर्ड गठित कर ये सुनिश्चित कराएं कि उसका गर्भपात कराना सुरक्षित है या नहीं.


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