Jharkhand News: झारखंड के जमशेदपुर (Jamshedpur) की लाइफ लाइन कही जाने वाली स्वर्णरेखा नदी (Subarnarekha River) की नाले से भी बदतर हालत हो गई है. यहां दिल्ली की यमुना नदी जैसा झाग देखने को मिला. साथ ही नदी का पानी इतना विषैला और झाग वाला हो गया है कि, सारी मछलियां छटपटा कर पानी से बाहर भागने लगी और तड़प-तड़प कर मरने लगी. वहीं 10 दिन पहले साकची जुबली पार्क के जयंती सरवर के तालाब में भी ऐसे ही हजारों मछलियां मरी पाई गई थीं. वहीं इस घटना के बाद से नदी से मछली पकड़ने वालों और नदी को देखने वालो की भीड़ लग गई. स्थानीय लोंगो ने बताया कि, नदी में लगातार झाग बन रहा है और सारी मछलियां तड़प-तड़प कर मर रही हैं.


इसके बाद से लोग लगातार नदियों में मरी मछलियों को बोरे में भर-भर कर ले जाते नजर आए. वहीं स्थानीय मछली बाजारों में भी नदी से निकाली गई मछलियां बिकने के लिए पहुंच गई और मछलियों के भाव में गिरावट भी आ गई. मौजूदा समय में देखे तो अधिकतर नदियां सुखी हुई हैं और जलकुंभी से भरी पड़ी है. वहीं स्वर्णरेखा नदी पहले की अपेक्षा काफी दूषित होती चली जा रही है. स्वर्ण रेखा नदी से होते हुए लाखों टन प्लास्टिक और शहर की गंदगी, कंपनियों का केमिकल युक्त पानी बंगाल की खड़ी में लगातार जा रहा है.


वहीं सरकारी विभाग, नगर निगम कचड़े का निस्पादन करने में असमर्थ नजर आ रहे हैं. नगर निगम और बड़ी-बड़ी कंपनिया लगातार अपने फायदे के लिए जमशेदपुर की लाइफलाइन कही जाने वाली स्वर्णरेखा नदी को दूषित कर रहे हैं. नदी घाट पर पहुंचे कांग्रेस के कार्यकर्ता दुर्गा सिंह ने बताया कि, इस समस्या का जल्द निवारण खोजना होगा, नहीं तो स्वर्णरेखा नदी भी यमुना की तरह दूषित हो जाएगी.


नदी के पास बसे लोगों को हो रही परेशानी
वहीं स्वर्ण रेखा नदी के तट पर बसे हजारों लाखों परिवार चिंतित हैं. नदी देखने में किसी महानगर के बड़े नाले सा प्रतीत हो रहा है. वहीं मानगो की ज्यादा तर आबादी बोरिंग के माध्यम से मानगो नदी का ही पानी पीती आ रही है, जो की मानव जीवन पर घातक साबित हो सकता है. महानगर के नाले सी दिखने वाली स्वर्ण रेखा नदी कभी बेहद साफ नदी हुई करती थी, जिससे सोना छानने वाले लोग हुआ करते थे, जो अब जमशेदपुर छोड़ चुके हैं. वहीं मछुआरे भी लगभग गायब हो चुके हैं. शेष जो बचे हैं वो अपनी जीविका के तरीके को बदल चुके हैं. देश के विलुप्त होती नदियों पर केंद्र की योजना नमामी गंगे पर हर राज्य को गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है. राज्य और देश के लोगों के जीवन से जुड़े नदी,पर्यावरण पर भी चिंता करनी चाहिए. 


सरयू राय ने पानी की जांच कराने की बात कही
10 दिन पूर्व साकची जुबली पार्क के जयंती सरवर के तालाब में हजारों मछलियां पाई गई थी. अब स्वर्णरेखा नदी की मछलियां दूषित पानी से मर रही हैं. इसको लेकर झारखंड के पूर्व मंत्री सह जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरजू राय ने कहा कि, मैं पिछले दो महीने से सरकार से कह रहा हूं कि चांडिल डैम से पानी छोड़ा जाए, जिसकी वजह से बिरसानगर के मोहरदा जलापूर्ति योजना में भी पानी में कीड़े मकोड़े मिल रहे हैं. चांडिल डैम से कभी पानी छोड़ा जाता है. कभी नहीं छोड़ा जाता है. वहीं विधायक सरजू राय ने विशेषज्ञ से बात की उनका कहना है कि मछलियों के मरने का एकमात्र कारण होता है, पानी में ऑक्सीजन कम हो जाना.


वहीं ऑक्सीजन की कमी दो तरह से होती है. एक बैक्टीरियल कमी की वजह से और दूसरा पानी में केमिकल गिरने की वजह से, इसी की वजह से पानी में झाग बनता है. अब यहां दोनों में से क्या है, यह पानी की जांच के बाद ही पता चल पाएगा. मैं प्रदूषण बोर्ड से कहूंगा कि पानी की जांच कराई जाए या फिर मैं स्वयं नदी का जल ले जाकर रांची लेबोरेटरी में जांच कराऊंगा. इसको लेकर टाटा स्टील और शासन-प्रशासन से भी बात करूंगा.






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