Jharkhand Mahadev Mahto Become Jungle Man: हजारीबाग (Hazaribagh) जिले के टाटीझरिया-दूधमटिया जंगल (Dudhmatia Forest) में उजड़ते हुए जंगल को एक साधारण स्कूल शिक्षक, महादेव महतो (Mahadev Mahto) के संकल्प की बदौलत नई जिंदगी मिल गई है. जंगल बचाने के लिए 3 दशक पहले उन्होंने अकेले एक अभियान शुरू किया था, जिसने पूरे इलाके में जागरूकता की अद्भुत लहर पैदा कर दी. एक-एक कर हजारों लोग उनके अभियान से जुड़े. इसी की नतीजा है कि 3 दशक पहले जिस दूधमटिया जंगल का क्षेत्रफल लगभग 65 एकड़ था, उसका विस्तार अब 90 एकड़ में हो गया है.
हाथियों के हमले ने बदल दी सोच
हजारीबाग में महादेव महतो को लोग जंगल मैन के नाम से जानते हैं. महादेव टाटीझरिया के बेरहो गांव के रहने वाले हैं, उम्र करीब 68 वर्ष है. वर्ष 1990 के दशक में इलाके का दूधमटिया जंगल तेजी से उजड़ रहा था. वन तस्कर, माफिया और कुछ स्थानीय लोग बगैर सोचे-समझे पेड़ों की कटाई कर रहे थे. उन्हीं दिनों इलाके में जंगली हाथियों का उत्पात भी बढ़ गया था. एक रोज हाथियों के झुंड ने उनके गांव में घुसकर एक ग्रामीण को कुचल डाला. कई अन्य लोग भी गुस्साए हाथियों का निशाना बने. महादेव महतो कई दिनों तक सोचते रहे कि आखिर एक शाकाहारी जीव ने लोगों को क्यों मारा? फिर खुद ही निष्कर्ष भी निकाला कि इसके गुनहगार हम लोग खुद हैं. प्राकृतिक आश्रय उजड़ने की वजह से वो हमलावर और हिंसक हो रहे हैं. इसके बाद महादेव महतो ने आस-पास के कई गांवों में ग्रामीणों के साथ बैठक की. कई लोग साथ आए और तय हुआ कि जंगल को बचाने के लिए अभियान चलाएंगे.
सबकुछ इतना आसान नहीं था
महादेव महतो बताते हैं कि वास्तविक तौर पर अभियान की शुरूआत 7 अक्टूबर 1995 को हुई, लेकिन सब कुछ इतना आसान नहीं था. कई लोगों का विरोध झेलना पड़ा. महादेव महतो ने साइकिल से 70-80 किलोमीटर तक की यात्राएं की और ग्रामीणों को एकजुट किया. बेरहो, टाटीझरिया, डहरभंगा और दूधमटिया में ग्रामीणों ने वन सुरक्षा समितियां बनाई. सुरेंद्र प्रसाद सिंह, इंदु महतो, सरयू महतो, बासुदेव सिंह, दीना गोप सहित कई लोगों ने इस अभियान में प्रभावी भूमिका निभाई. सबने मिलकर तय किया कि एक-एक पेड़ को रक्षा सूत्र बांधेंगे और एक-एक व्यक्ति से इस अभियान में जुड़ने का आग्रह करेंगे. वनों को रक्षा सूत्र बांधे जाने के दौरान धार्मिक अनुष्ठान भी आयोजित हुए, इससे बड़ी संख्या में लोग जुड़े.
हर वर्ष 7 अक्टूबर को लगता है विशाल पर्यावरण मेला
गांव दर गांव ये अभियान बढ़ता गया, जिस गांव में पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधा जाता, उसकी वर्षगांठ पर पर्यावरण महोत्सव मनाने का संकल्प लिया जाता. बाद में वन विभाग भी इस अभियान में सहभागी बना. अभियान के केंद्र स्थल दूधमटिया में अब हर वर्ष 7 अक्टूबर को विशाल पर्यावरण मेला लगता है. इसमें 10 से 15 हजार लोग शामिल होते हैं और सामूहिक तौर पर पेड़ों पर लाल धागा बांधकर उनकी रक्षा का संकल्प लेते हैं. दूधमटिया जंगल में रक्षाबंधन अभियान से प्रेरणा लेकर बाद के वर्षों में हजारीबाग पूर्वी वन प्रमंडल क्षेत्र के भेलवारा, कुसुम्भा, चलनिया, दिगवार, खुरंडीह, सरौनी खुर्द, बभनवै, केसुरा, मयूरनचवा सहित में 38 स्थानों पर भिन्न-भिन्न तारीखों में प्रतिवर्ष वृक्षों के रक्षाबंधन का उत्सव आयोजित होता है और पर्यावरण मेला लगाया जाता है.
डीएफओ ने कही ये बात
हजारीबाग पूर्वी वन प्रमंडल के डीएफओ (डिविजनन फॉरेस्ट ऑफिसर) सौरभ चंद्रा कहते हैं कि पर्यावरण के प्रति महादेव महतो का समर्पण अद्भुत है. वन विभाग में दूधमटिया जंगल की पहचान उनके नाम से ही होती है. उनकी तरफ से निरंतर चलाया जा रहा अभियान हम सभी के लिए प्रेरक है.
मिल चुके हैं कई सम्मान
महादेव महतो को 6 मार्च 2017 को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की ओर से नई दिल्ली में आयोजित समारोह में सृष्टि सम्मान प्रदान किया गया था. 13 नवंबर 2017 को रांची में तत्कालीन झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के हाथों उन्हें झारखंड सम्मान से नवाजा गया था. इसके अलावा उन्हें जंगल मैन, झारखंड रत्न सम्मान सहित कई पुरस्कारों से नवाजा गया है. महतो को वन विभाग के वन्य प्रशिक्षण केंद्र के साथ-साथ विभिन्न महाविद्यालयों-विश्वविद्यालयों में वन और वन्य जीव संरक्षण पर व्याख्यान के लिए बुलाया जाता है.
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