Lumpy Virus: झारखंड में मिले लंपी वायरस के संदिग्ध मामले, पशुपालकों में मचा हड़कंप, एडवाइजरी जारी
Ranchi News: झारखंड (Jharkhand) में लंपी वायरस (Lumpy Virus) के 2 जिलों में इसके संदिग्ध मामले सामने आए हैं. लंपी वायरस के दस्तक देने से पशुपालकों में हड़कंप मचा है.
Jharkhand Lumpy Virus: देश के कई राज्यों में कहर बरपा रहे लंपी वायरस (Lumpy Virus) ने अब झारखंड (Jharkhand) में भी दस्तक दे दी है. राज्य के 2 जिलों में इसके संदिग्ध मामले सामने आए हैं. रांची (Ranchi) के नगड़ी और देवघर (Deoghar) के पालाजोरी में वायरस से संक्रमित मवेशी मिले हैं. पशुपालन निदेश शशि प्रकाश झा (Shashi Prakash Jha) ने बताया कि, मवेशियों का सैंपल कलेक्ट कर जांच के लिए भोपाल भेजा जाएगा. इससे बचाव को लेकर एडवाइजरी भी जारी की गई है. मामले को लेकर कृषि मंत्री बादल पत्रलेख (Badal Patralekh) ने भी निर्देश जारी किया है. सभी पशु चिकित्सकों को वैक्सीन की खरीदारी के लिए विभाग की तरफ से आदेश दिए गए है.
टोल फ्री नंबर जारी
कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि एक ट्रोल फ्री नंबर (18003097711) भी जारी किया गया है. जिस पर सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक कॉल कर इसके संबंध में जानकारी दी जा सकती है. पशुपालन निदेशक के साथ डॉक्टरों की बैठक भी बुलाई गई है. बैठक में रणनीति बनाई जाएगी कि इस वायरस रोकथाम के लिए किस तरह के उपाय किए जाएं.
पशुपालकों में मचा हड़कंप
पशुपालन निदेशक शशि प्रकाश झा ने डीएचओ को निर्देश दिया है कि संदिग्ध मवेशी मिलने पर बचाव के उपाय किए जाएं. वायरस के फैलते संक्रमण को देखते हुए बाहर के मवेशियों की आवाजाही पर भी रोक लगा दी गई है. इस बीच लंपी वायरस के दस्तक देने से झारखंड के पशुपालकों में हड़कंप मचा है.
क्या है लंपी वायरस?
कैपरी पॉक्स वायरस को लंपी वायरस के तौर पर जाना जाता है. इसे ढेलेदार त्वचा रोग वायरस भी कहते हैं. इस वायरस की शुरुआत पॉक्सविरिडाए डबल स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस परिवार से होती है. पॉक्सविरिडाए को पॉक्स वायरस भी कहते हैं. इसके प्राकृतिक मेजबान रीढ़ और बिना रीढ़ वाले जंतु होते हैं. इस परिवार में वर्तमान में 83 प्रजातियां हैं जो 22 पीढ़ी और 2 उप-परिवारों में विभाजित हैं. इस परिवार से जुड़ी बीमारियों में स्मॉलपॉक्स यानी चेचक भी शामिल है.
लंपी वायरस के लक्षण
आम तौर पर पशुओं की खाल पर गांठें पड़ जाती हैं फिर उनमें पस पड़ जाता है. घाव आखिर में खुजली वाली पपड़ी बन जाते हैं, जिस पर वायरस महीनों तक बना रहता है. ये वायरस जानवर की लार, नाक के स्राव और दूध में भी पाया जा सकता है. इसके अलावा, पशुओं की लसीका ग्रंथियों में सूजन आना, बुखार आना, अत्यधिक लार आना और आंख आना, वायरस के अन्य लक्षण हैं.
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