Jharkhand: नोआमुंडी में खदान की कमान महिलाओं के हाथ में सौंपेगी टाटा स्टील कंपनी, जानें- खास बात
Jharkhand News: नोआमुंडी आयरन ओर माइन्स (Noamundi Iron Mine) को पूरी तरह महिलाओं के हाथ में सौंपने की तैयारी पूरी कर ली गई है. ऐसा प्रयोग देश में पहली बार हो रहा है.
Jharkhand Noamundi Iron Mine: झारखंड (Jharkhand) में लौह अयस्क (Iron Ore) की एक खदान की कमान पूरी तरह महिलाओं के हाथ में होगी. फावड़ा से लेकर ड्रिलिंग तक और डंपर चलाने से लेकर डोजर-शॉवेल जैसी हैवी मशीनों का संचालन कुशल महिला कामगारों के हाथों में होगा. ये पहल टाटा स्टील (Tata Steel) ने की है. नए साल यानी 2022 में पश्चिम सिंहभूम जिले की नोआमुंडी आयरन ओर माइन्स (Noamundi Iron Mine) को पूरी तरह महिलाओं के हाथ में सौंपने की तैयारी पूरी कर ली गई है. ऐसा प्रयोग देश में पहली बार हो रहा है.
महिला टीम की हो रही है तैनाती
टाटा स्टील के आयरन ओर एंड क्वेरीज डिविजन के महाप्रबंधक एके भटनागर ने पत्रकारों को बताया कि नोआमुंडी स्थित कंपनी की आयरन ओर माइन्स में सभी शिफ्टों के लिए 30 सदस्यों वाली महिलाओं की टीम की तैनाती की जा रही है. खदान को स्वतंत्र रूप से महिलाओं के हाथों संचालित करने का ये टास्क कंपनी ने महिला सशक्तीकरण की परियोजना तेजस्विनी 2.0 के तहत लिया था और अब इसे सफलतापूर्वक लागू करने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.
देश की सबसे बड़ी स्टील उत्पादक कंपनी है टाटा
बता दें कि, टाटा स्टील देश की सबसे बड़ी स्टील उत्पादक कंपनी है. क्रूड स्टील के निर्माण में कोयला के अलावा लौह अयस्क कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल होता है. इसके लिए टाटा स्टील के पास अपनी माइंस है, जहां से हर दिन उत्पादन होता है. टाटा स्टील की नोआमुंडी स्थित जिस लौह अयस्क माइंस की कमान महिलाओं के हाथ में सौंपी जा रही है, उसे फाइव स्टार रेटिंग मिली है.
लिखित परीक्षा का किया गया था आयोजन
बताया गया कि इस आयरन ओर माइन्स में बतौर ऑपरेटर तैनात की जाने वाली जिन 22 महिलाओं का चुनाव किया गया, उनके लिए लिखित परीक्षा और साक्षात्कार का आयोजन किया गया था. लिखित परीक्षा और साक्षात्कार में कुल 350 महिलाएं शामिल हुई थी. ये सभी न्यूनतम मैट्रिक पास हैं. इनमें से कई आदिवासी परिवारों से आती हैं. सबसे दिलचस्प बता ये है कि चुनी गई अधिकांश ऑपरेटरों में से किसी ने कभी दोपहिया गाड़ी तक नहीं चलाई थी, लेकिन अब ट्रेनिंग पूरी होने के बाद वो डोजर, डंपर सहित सभी तरह की हेवी मशीनें चला रही हैं.
माता-पिता से ली गई है अंडरटेकिंग
टाटा स्टील के अधिकारियों के अनुसार इन सभी महिला ऑपरेटरों को खनन कार्य में शामिल करने से पहले उनके माता-पिता से अंडरटेकिंग ली गई है. अकुशल महिला श्रमिकों को तकनीकी प्रशिक्षण देने के बाद खदानों में सबसे बड़ी जिम्मेदारी वाले कार्यों के लिए तैयार किया गया है. महिलाएं सुरक्षित रूप से काम कर सकें, इसके लिए खान सुरक्षा महानिदेशालय के निर्धारित सभी मानदंडों को पूरा किया गया है.
दिया गया है वूमेन एट माइंस नाम
कंपनी ने खनन, विद्युत, यांत्रिक और खनिज प्रसंस्करण इंजीनियर समेत अलग-अलग सेक्शन में10 महिला अधिकारियों की भी भर्ती की है. इनके लिए सैनिटरी वेंडिग मशीन, महिलाओं के लिए कैंटीन, रेस्ट रूम, एक शिफ्ट में कम से कम तीन के समूह में महिलाओं की तैनाती, महिला सुरक्षा गार्ड, ट्रांसपोर्टिंग फैसिलिटी सहित तमाम प्रबंध किए गए हैं. जीपीएस और सीसीटीवी के जरिए निगरानी का सिस्टम भी लागू किया गया है. बताया गया कि कंपनी का लक्ष्य है कि वर्ष 2025 तक टाटा की वेस्ट बोकारो यूनिट के कार्यबल में 20 फीसद महिला अधिकारियों को शामिल किया जाए. कंपनी के एचआर ने इस पहल को वूमेन एट माइंस नाम दिया है.
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