Jharkhand Tribal Festival Opening: झारखंड जनजातीय महोत्सव का मंगलवार को  शुभारंभ हो गया है. इस दो दिवसीय महोत्सव का उदघाटन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके पिता शिबू सोरेन ने किया. इस दौरान सीएम सोरेन ने कहा पूर्वजों की कुर्बानियां हमारे ऊपर बहुत बड़ा कर्ज है. यह कर्ज तभी उतरेगा, जब राज्य के नव निर्माण में सभी सहयोग करें. सोरेन ने कहा कि आज जब मैं आपसे इस मंच के माध्यम से मुखातिब हो रहा हूं बता दूं कि मेरे लिए मेरी आदिवासी पहचान सबसे महत्वपूर्ण है, यही मेरी सच्चाई है.


रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते सीएम ने कहा आज हम एक ढंग से अपने समाज के पंचायत में खड़े होकर बोल रहे हैं, आज हम अपनी बात करने के लिए खड़े हुए हैं. आज भी देश का सबसे गरीब, अशिक्षित, प्रताड़ित, विस्थापित एवं शोषित वर्ग आदिवासी वर्ग है. आज आदिवासी समाज के समक्ष अपनी पहचान को लेकर संकट खड़ा हो गया है. क्या यह दुर्भाग्य नहीं है कि जिस अलग भाषा संस्कृति-धर्म के कारण हमें आदिवासी माना गया उसी विविधता को आज के नीति निर्माता मानने के लिए तैयार नहीं हैं.



हमारे पूर्वजों ने जंगल-जानवर बचाए


सीएम सोरेन ने कहा कि आदिवासी समुदाय एक स्वाभिमानी समुदाय है, मेहनत करके खाने वाली कौम है. ये किसी से भीख नहीं मांगती है, हम भगवान् बिरसा, एकलव्य, राणा पूंजा की कॉम हैं, जिन्हें कोई झुका नहीं सकता, कोई डरा नहीं सकता, कोई हरा नहीं सकता. सीएम ने कहा कि हम सामने से वार करने वाले लोग हैं, सीने पर वार झेलने वाले लोग हैं. हमारे पूर्वजों ने ही जंगल बचाया, जानवर बचाया, पहाड़ बचाया.


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सामूहिक भोज के लिए 100 किलोग्राम चावल तथा 10 किलो दाल मिलेगी


इस कार्यक्रम में सीएम सोरेन ने कहा कि हमें आपस में हमेशा मिलकर रहना है. 'जोहार' बोल कर हम प्रकृति की जय बोल रहे हैं, सभी के जय की बात कर रहे हैं. मैं तो चाहता हूं कि सभी लोग आदिवासी- गैर आदिवासी अभिवादन के लिए 'जोहार' शब्द का प्रयोग करें. इसके साथ ही सीएम सोरेन ने इस दौरान ने घोषणा की कि आदिवासी परिवार में किसी की भी शादी के अवसर पर एवं मृत्यु होने पर उन्हें 100 किलोग्राम चावल और 10 किलो दाल दिया जाएगा. इससे सामूहिक भोज के लिए अब उन्हें कर्ज नहीं लेना पड़ेगा.


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