Jharkhand Crime News: झारखंड में इन दिनों आपराधिक घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. हर दिन लूटमार, हत्या और रेप की घटनाओं ने यहां के लोगों के मन मे खौफ बढ़ा दिया है. वहीं एक ओर बीजेपी लगातार आपराधिक घटनाओं पर सरकार को घेरने में लगी है, तो दूसरी ओर हेमंत सोरेन सरकार लगातार पुलिस प्रशासन के साथ अपराध नियंत्रण करने पर बैठक कर रही है. वहीं इस बीच रांची से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है.
दरअसल, रांची जिले के खलारी में एक 32 वर्षीय आदिवासी महिला को एक कुत्ते ने काट लिया था. जिसके बाद इरशाद नाम के व्यक्ति ने उस आदिवासी महिला को एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने के नाम पर बुढ़मू अस्पताल ले गया. इसके बाद यहां उसने महिला के साथ रेप किया और वीडियो बना लिया, जिसके बाद इरशाद लगातार महिला को ब्लैकमेल करके उसका शारिरिक शोषण करता रहा. महिला उसके सामने गिड़गिड़ाती रही, मगर इरशाद हैवानियत की हदें पार कर गया और अंत में महिला ने आत्महत्या कर ली.
क्या है पूरा मामला?
घटना के बाद से ही स्थानीए लोगों में प्रशासन के खिलाफ गुस्सा भरा हुआ है. इस घटना के बाद महिला के देवर अमित ने मीडिया को बताया कि उनकी भाभी ने घटना की जानकारी उसे दी थी. उन्होंने बताया था कि इरशाद ने उनके साथ रेप किया है, साथ ही वीडियो बना कर उन्हें ब्लैकमेल भी कर रहा है. जिसके बाद शनिवार की सुबह अमित ने इरशाद को अपने घर बुलाया और इस मामले में बातचीत कर रहा था, तभी उसकी भाभी ने दूसरे कमरे का दरवाजा बंद कर लिया और फांसी लगा लिया.
आनन फानन में जब उसे अस्पताल ले जाया गया तो वहां डॉक्टरों की टीम ने उसे मृत घोषित कर दिया. वहीं खलारी थाने के इंचार्ज फरीद आलम ने बताया कि आरोपी इरशाद को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. उन्होंने स्थानियों को समझते हुए कहा कि, कोई भी कानून को अपने हाथ में न ले. पुलिस ने इरशाद को हिरासत में लिया है उसपर उपयुक्त धाराएं लगा दी गई हैं और उसे जेल भेज दिया जाएगा.
बीजेपी ने सीएम सोरेन को ठहराया जिम्मेदार
वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल ने इस घटना पर हेमंत सरकार को घेरते हुए ट्वीट किया कि, 'झारखंड में सोरेन राज परिवार के नालायक राजकुमार हेमंत सोरेन के शासन में आदिवासी समाज की यही नियति बन गई है. शायद ही कोई ऐसा दिन गुजरता हो जब किसी बच्ची के साथ इस तरह की बर्बरता की खबर न आती हो? खराब कानून व्यवस्था का सबसे अधिक शिकार गरीब और कमजोर ही होते हैं. अगर पुलिस को वसूली और राजनीतिक विरोधियों को फंसाने के टूल की तरह इस्तेमाल करने की बजाय अगर कानून व्यवस्था सुधारने में लगाया होता तो राज्य की स्थिति इतनी भयावह नहीं होती.'