Jharkhand Underground Fire in Jharia: झारखंड (Jharkhand) के झरिया (Jharia) की भूमिगत कोयला खदानों (Underground Coal Mines) में दशकों से आग धधक रही है. अंदर से खोखली हो चुकी जमीन पर एक बड़ी आबादी आज भी टिकी है. तमाम कोशिशों के बाद भी भूमिगत आग (Fire) पर काबू नहीं पाया जा सका है. लोगों को मौत के मुहाने से हटाकर सुरक्षित जगहों पर बसाने के प्रयास भी किए गए लेकिन, सफलता नहीं मिली. यहां पिछले 100 सालों से जमीन के नीचे आग धधक रही है. 


तेजी से होगा पुनर्वास का कार्य 
अब एक बार फिर आग प्रभावित क्षेत्र में पुनर्वास तेज करने के लिए इसे 2 भागों में बांटने की योजना है. एक तरफ कोयला भंडार और खनन क्षेत्र में लगी आग वाले इलाकों की जिम्मेदारी बीसीसीएल की होगी तो वहीं दूसरी तरफ जहां कोयला का भंडार नहीं हैं वहां के लोगों को बसाने का जिम्मा जरेडा के पास होगा. इसी को लेकर हुई बैठक में बीसीसीएल के आग प्रभावित एरिया के महाप्रबंधकों को भी बुलाया गया था. उन्होंने अपने-अपने क्षेत्र की मौजूदा स्थिति के बारे में टीम को अवगत कराया. अवैध कब्जाधारियों को बसाने में काफी परेशानी हो रही है, इसके कारण झरिया पुनर्वास की गति पर काफी असर पड़ रहा है. 


पूरे नहीं हुए लक्ष्य
बता दें कि, केंद्र की मंजूरी के बाद 11 अगस्त 2009 को झरिया के लिए जो मास्टर प्लान लागू हुआ था उसके मुताबिक भूमिगत खदानों में लगी आग को नियंत्रित करने के साथ-साथ 12 साल यानी अगस्त 2021 तक अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए दूसरी जगहों पर आवास बनाकर उन्हें स्थानांतरित कर दिया जाना था, लेकिन अब तक ये दोनों ही लक्ष्य पूरे नहीं हो पाए हैं. 




उम्मीद है कि झरिया को नई जिंदगी मिले
बहरहाल, 2009 में लागू हुए मास्टर प्लान की मियाद खत्म हो चुकी है. कुछ महीनों पहले केंद्र की एक टीम ने झरिया की विभिन्न कोयला खदानों का दौरा किया था. इस टीम ने झरिया की बेलगड़िया अलकुसा, लोयाबाद, गोधर का दौरान किया और स्थानीय अधिकारियों के साथ मीटिंग भी की थी. टीम ने अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों की समस्याएं भी सुनी थी. अब उम्मीद की जा रही है कि आग की लपटों के बीच झुलस रहे शहर को नई जिंदगी मिले.


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