Jharkhand Gumla Navratangarh Excavation: झारखंड (Jharkhand) के गुमला (Gumla) जिला अंतर्गत सिसई प्रखंड में स्थित ऐतिहासिक नवरत्नगढ़ (Navratangarh) की पुरातात्विक खुदाई में अत्यंत प्राचीन भूमिगत महल की संरचना प्राप्त हुई है. माना जा रहा है कि जमीन के अंदर बनाया गया ये महल लगभग साढ़े पांच सौ से छह सौ साल पुराना है. महल और उसके आसपास भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) विभाग की तरफ से कराई जा रही खुदाई में कई अहम अवशेष भी मिले हैं, विभाग इनका अध्ययन कराएगा. नवरत्नगढ़ को वर्ष 2009 में ही राष्ट्रीय पुरातात्विक धरोहर घोषित किया जा चुका है.
अहम साबित हो सकते हैं खुदाई के नतीजे
पुरातात्विक खुदाई की देखरेख कर रहे विभाग के अधीक्षण अभियंता शिवकुमार भगत का कहना है कि आगामी मार्च 2022 तक यहां जारी रहने वाली खुदाई के नतीजे बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं. नवरत्न गढ़ छोटानागपुर (वर्तमान झारखंड) में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले नागवंश के 45वें राजा दुर्जन शाल के शासनकाल में बसा था. अब तक मिले प्रमाण के अनुसार उन्होंने यहां डोईसागढ़ नगर में सन 1571 में किले का निर्माण कराया था.
मिला है खुफिया रास्ता
कहा जाता है कि ये किला 9 मंजिला बनाया गया था, इसलिए इस जगह को नवरत्नगढ़ भी कहा जाता है. जमीन पर इस किले के ध्वंसाशेष वर्षों से मौजूद हैं. ये स्थान स्थानीय पर्यटकों, पुरातत्वविदों एवं इतिहासकारों के लिए कौतूहल और जिज्ञासा का केंद्र रहा है. अब इसी महीने यहां शुरू हुई पुरातात्विक खुदाई के बाद पहली बार यह पता चला है कि राजा ने जमीन के अंदर भी भव्य महल बनवा रखा था. माना जा रहा है कि मुगल शासकों के हमलों से बचाव के लिए इसका निर्माण कराया गया था. इस भूमिगत महल में एक सुरंगनुमा खुफिया रास्ता भी मिला है, जिसकी खुदाई जारी है. भूमिगत महल की संरचना के आधार पर ये अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां हीरे-जवाहरात का खजाना रखने की भी कोई गुप्त जगह रही होगी.
ये है इतिहास
नवरत्नगढ़ का निर्माण कराने वाले राजा दुर्जन शाल को इतिहास में हीरे के पारखी के रूप में जाना जाता रहा है और इस संबंध में कई कहानियां भी सुनाई जाती रही हैं. इनमें से एक कहानी ये भी है कि ग्वालियर के तत्कालीन शासक इब्राहिम खान ने लगान नहीं चुकाने के कारण दुर्जन शाल को बंदी बना लिया था, लेकिन हीरे का पारखी होने के कारण 12 साल के बाद उन्हें रिहा कर दिया.
जारी है पुरातात्विक खुदाई
बहरहाल, यहां जारी पुरातात्विक खुदाई और सर्वेक्षण का दायरा बहुत बड़ा है. यहां रानी महल, कमल सरोवर, रानी लुकईर ( लुका छुपी) मठ जगन्नाथ, सुभद्रा बलभद्र मंदिर, राज दरबार, तहखाना संत्री पोस्ट, नवरत्नगढ़ के पीछे मुड़हर पहाड़ में जलेश्वर नाथ शिवलिंग, नवरत्न गढ़ से बाहर सिंहद्वार कपिल नाथ मंदिर, भैरवनाथ मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, धोबी मठ, राजगुरु समाधि स्थल, बउली मठ, वकील मठ, मौसी बाड़ी, जोड़ा नाग मंदिरतक सर्वेक्षण किया जा सकता है.
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