Jharkahnd News: 21वीं सदी के इस मौजूदा दौर में भी हमारा समाज छुआछूत और अंधविश्वास से उबर नहीं पा रहा है. झारखंड के सिल्ली प्रखंड की बड़ा चांगडू पंचायत के अड़ाल नवाडीह गांव का एक मुहल्ला आज भी जाति प्रथा का दंश झेल रहा है. यहां तीन लोहरा (दलित) परिवार में करीब 19 सदस्य रहते हैं. इन परिवारों को गांव में रहनेवाले तथाकथित 'ऊंची जाति' के लोगों के कुएं से पानी भरने की मनाही है. ऐसे में इन लोगों को ऊंची जाति के लोगों से मांग कर पानी पीना पड़ता है. वहीं अब इस मामले में सीएम हेमंत सोरेन ने एक्शन लेते हुए कार्रवाई का निर्देश दिया है. 


दरअसल, सिल्ली के नवाडीह गांव में वहां के दलितों को कुएं से पानी नहीं भरने देने की खबर सामने आई तो सीएम हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा कि, 'रांची डीसी कृपया उक्त मामले की जांच कर कार्रवाई करते हुए सूचित करें. साथ ही सभी उपायुक्त यह भी सुनिश्चित करें कि ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो.'






क्या है पूरा मामला?
नवाडीह गांव में तीन लोहरा (दलित) परिवार के लोगों को यहां के तथाकथित 'ऊंची जाति' के लोगों के कुएं से पानी भरने की मनाही है. ऐसे में इन लोगों को ऊंची जाति के लोगों से मांग कर पानी पीना पड़ता है. हालत यह है कि इनका पूरा दिन पानी के जुगाड़ में गुजर जाता है. कुएं पर खड़े होकर ये लोग दिन भर बाट जोहते हैं कि ऊंची जाति का कोई व्यक्ति कुएं पर आये जिससे वे एक बाल्टी पानी मांग सकें. दिक्कत यहीं खत्म नहीं हो जाती है, यदि ऊंची जाति के लोगों की पानी देने का मन नहीं हुआ, तो वे खरी-खोटी सुना कर इनलोगों को खाली हाथ लौटा देते हैं.


सरकारी स्तर पर पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं
ग्रामीणों ने बताया कि जिस मुहल्ले में यह परिवार रहता है, उसके आसपास सरकारी स्तर पर पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है. न कोई कुआं है न ही सोलर से चलनेवाला ट्यूबवेल लगाया गया है. थोड़ी दूर पर एक पुराने अनुपयोगी आंगनबाड़ी भवन के परिसर में चापाकल है, लेकिन उससे भी कभी पानी नहीं निकला. हालांकि, इनलोगों को पानी पीने के लिए तालाब के समीप स्थित दाड़ी को छोड़ दिया गया है. लेकिन, वह भी ऊंची जाति के लोगों की जमीन पर है, इसलिए ये लोग उस जगह पानी लेने नहीं जाते हैं.



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