(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Jharkhand News: झारखंड में बारिश ने लौटाई किसानों के चेहरे पर मुस्कान, खिलखिलाती हंसी के साथ धान रोपने में जुटे किसान
किसानों का कहना है कि, आने वाले दिनों में बारिश होती रही तो देरी से हुई रोपाई के नुकसान की भरपायी हो पाएगी. बीते साल भी बारिश में देरी के चलते किसानों को अपनी फसल की बुआई देर से करनी पड़ी थी.
Jharkhand Weather News: झारखंड में लगातार हो रही बारिश से किसानों को काफी राहत मिली है. मानसून की बेरुखी के कारण किसानों के मुरझाए चेहरे अब खिल उठे, तो वहीं उमस और गर्मी से बेहाल लोगों को मौसम ने राहत दी है. सूखा से बर्बाद हो रहे दलहन, तेलहन और मोटे अनाज के फसलों पर यह बारिश संजीवनी का काम करेगी. इस बारिश के बीच ही किसान परिवार खेतों में पहुंचकर धान रोपाई के अधूरे कार्य को पूरा करने में जुटे दिखाई दिए. बताते चलें कि बारिश के इंतजार में आषाढ़ के बाद सावन का पहला माह भी सूखा बीत जाने के बाद खेतों में दरारें पड़ने लगी थीं, जिसको लेकर किसान चिंतित थे.
वहीं किसानों का कहना है कि, यदि आने वाले दिनों में बारिश होती रही तो रोपाई में हुई देरी से आशंकित नुकसान की भरपायी कुछ हद तक तक हो पाएगी. बीते साल भी बारिश में देरी के चलते किसानों को अपनी फसल की बुआई देर से करनी पड़ी थी. इसके चलते किसानों को भारी नुकसान हुआ था. साथ ही धान की फसल को कई तरह के रोग का भी प्रकोप झेलना पड़ा था. वहीं किसान आगे बताते हैं कि, हम पूरे परिवार के साथ धान की रोपाई में जुटे हुए हैं. इस बारिश का बेसब्री से इंतजार था. पहली प्राथमिकता धान की रोपाई है. यह किसी पर्व से कम नहीं है. इस समय पूरा परिवार खेती-किसानी में जुट जाता है.
किसानों ने कहा इस बार अच्छे फसल की उम्मीद
वहीं किसानों का कहना है कि, अगर इंद्रदेव ऐसे ही उन पर आशीर्वाद बनाये रखेगे तो इसबार पैदावार अच्छी होगी. किसान बताते हैं कि, इस बार बारिश देर से हुई है मगर अब बारिश अच्छी हो रही है. उन्हें अब लग रहा है कि, रोपनी का काम पूरा हो जायेगा, क्योंकि कुछ दिनों पहले ऐसा लग रहा था कि सूखा पड़ जाएगा. वहीं काम के सिलसिले में बाहर गए लोगों का कहना है कि हमने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी कि इस बार खेतों में रोपनी के लिए हमें गांव आना होगा. क्योंकि अच्छी बारिश न होने से खेतों में दरारें पड़ गई थी. लेकिन अब खेतों में रोपनी भी पूरी होने के कगार पर है. अब ईश्वर से प्रार्थना है कि बारिश होती रहे जिससे फसलों को नुकसान न हो.