Jharkhand Dumka Sindur Khela 2022: दशमी के शुभ दिन पर मां दुर्गा को ससुराल विदा करते है और इसी दिन तमाम सुहागिनें मां दुर्गा के मांग में सिंदूर डालकर उन्हें विदा करती हैं. इस दौरान जमकर सिंदूर खेला जाता है. इस दौरान सैकड़ों महिलाएं मां दुर्गा की मांग में सिंदूर डालकर एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैं. ये विहंगम दृश्य मंदिरों और पंडालों में देखते ही बनता है. इस दौरान मां की विदाई करते वक्त महिलाएं ढोल और ढाक की थाप पर जमकर नृत्य भी करती हैं. पश्चिम बंगाल से सटी झारखंड (Jharkhand) की उपराजधानी दुमका (Dumka) में भक्ति से भरा यही विहंगम नजारा देखने को मिला है.
सिंदूर खेला के साथ हुआ दुर्गा पूजा का समापन
झारखंड की उपराजधानी दुमका में 10 दिनों से चल रही दुर्गा पूजा का सिंदूर खेला के साथ आज समापन हो गया. नवरात्रि के बाद दशमी के शुभ मुहूर्त पर मां दुर्गा के विदाई देने की रस्म पूरी की गई. आंखों में आंसू लिए श्रद्धांलुओं ने मां को ससुराल विदा किया. मां को विदा करने से पहले महिलाएं मां को सिंदूर लगाकर मंगलकामना करती हैं. मां को भोग लगाकर उनका आर्शीवाद लिया जाता है. हर सुहागिन यही कामना करती है कि उसके सुहाग पर आने वाले हर संकट मां टाल दें.
भक्तिमय बन जाता है माहौल
मां दुर्गा की विदाई से सिंदूर खेला के दौरान हर तरफ उड़ता सिंदूर माहौल को और भी भक्तिमय बना देता है. इस दौरान महिलाएं सालों से चली आ रही मां की विदाई से पहले उन्हें सिंदूर लगाने की परंपरा निभाती हैं. एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर शुभकामनाएं देने के साथ ये महिलाएं मां दुर्गा की भक्ति में लीन रहती हैं.
ये है मान्यता
मान्यता है कि दुर्गा मां अपने परिवार के संग मायके आई हैं और ससुराल जाते समय दशमी के दिन उनकी मांग भरी जाती है. बंगाली समाज में सिंदूर खेला की परंपरा सालों से चली आ रही है. सुहागिनें मन में उमंग और सौभाग्य की कामना लिए सिंदूर खेला खेलती हैं. इस दौरान श्रद्धा के साथ पारम्परिक तौर पर ढाक बजाकर मां का कलश विसर्जन किया जाता है. हालांकि, मां की मूर्ति का विसर्जन कुछ लोग दशमी में करते हैं तो कुछ लोग एकादशी को करते है.
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