Jharkhand Pre Matric Scholarship Scam: झारखंड (Jharkhand) में प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाला (Pre Matric Scholarship Scam) सामने आने के बाद इसकी जांच जारी है. इस बात का खुलासा हो चुका है कि दलालों ने स्कूल प्रबंधन की मिलीभगत से एनएसपी पोर्टल पर स्कूल के लॉगिन और पासवर्ड लेकर ये खेल किया. लेकिन, इस बीच आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि घोटाला सामने आने के बाद से वर्ष 2020-21 में गरीब अल्पसंख्यक छात्रों के लिए केंद्र की तरफ से वित्त पोषित योजना के लाभार्थियों की संख्या में 85 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है. 


कम हुई लाभार्थियों की संख्या 
इसी अवधि के दौरान, प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए आवेदकों की संख्या में 22 प्रतिशत की कमी आई है. योजना के तहत कक्षा 1 से 4 तक के छात्रों को 1,000 रुपये मिलते हैं, कक्षा 5 से 10 तक के छात्रों को 5,700 रुपये और 10,700 रुपये (छात्रावास में रहने वाले) मिलते हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि जहां आवेदनों की संख्या में कोई खास गिरावट नहीं आई, वहीं छात्रवृत्ति घोटाले की जांच के बाद लाभार्थियों की संख्या में 85 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है. 


क्या कहते हैं आंकड़े 
एसटी, एससी, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, झारखंड में लाभार्थियों की संख्या शैक्षणिक वर्ष 2019-20 में 74,183 से घटकर 2020-21 में 10,338 हो गई है. इसी अवधि में, छात्रवृत्ति के लिए आवेदनों की संख्या में केवल 22 प्रतिशत की कमी आई है . 2019-20 में 184,584 आवेद थे जो 2020-21 में घटकर 142,429 हो गए. 


जारी है घोटाले की जांच 
प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले की जांच सीबीआई और झारखंड एसीबी अलग-अलग कर रही हैं. झारखंड के एसटी, एससी, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के सचिव केके सोन ने कहा कि ''प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में लाभार्थियों की संख्या में भारी कमी आई है. एसीबी जहां जांच कर रही है, वहीं दोषियों को पकड़ने के लिए विभाग ने अपनी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है.'' 


प्रक्रिया को बनाया गया सख्त 
घोटाले को देखते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने कड़े सत्यापन अभियान के साथ प्रणाली को मजबूत करने के लिए नए मानक स्थापित किए हैं. इसके अलावा, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने इस साल अगस्त में शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए प्रक्रिया को और भी सख्त बनाने के लिए कदम उठाए हैं. राज्य अल्पसंख्यक एवं वित्तीय विकास निगम ने सभी जिलों के उपायुक्तों को लिखे पत्र में आदेश दिया है कि वो छात्रवृत्ति राशि के वितरण में भ्रष्टाचार के सभी मामलों की जांच करें. 



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