झारखंड के लातेहार जिले के चकला ग्राम में इन दिनों हाथियों का आतंक रुकने का नाम नहीं ले रहा है. आलम ये है कि लोग अब इस गांव में बेटी की शादी करने से भी डरने लगे हैं. प्रशासन से मदद की लगातार गुहार के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है. ग्रामीणों की आंखों में हाथियों का खौफ साफ नजर आ जायेगा.


चकला ग्राम के टोला हरैया पड़ुवा में टूटे फूटे घर साफ दिखाई देने लगेंगे. हाथियों के हमले से भयभीत ग्रामीणों ने बताया कि आधी रात को कुत्ता के भौंकने से समझ आ जाता है कि गांव में हाथियों का झुंड आ रहा है. लिहाजा सुरक्षा और हाथियों को भगाने के प्रयास में लग जाते हैं.  


कुत्ते के भौंकते ही पैदा हो जाती है सिहरन


गौरतलब है कि एक सप्ताह से हरैया पड़ुवा में हाथी आंतक मचाए हुए हैं. गांव में ज्यादातर घरों पर हाथियों के हमले का निशान देखा जा सकता है. मेहनत की कमाई से बनाये गये घरों को हाथियों ने रौंद दिया है. नुकसान दिखाते  ग्रामीणों का आंसू नहीं रुक पाता और बेबसी में रोने लगते हैं. सोमरा उरांव के 22 वर्षीय बेटे प्रेम उरांव की शादी इसी माह तय हुई थी.


घर में खुशी का माहौल था. लड़की लड़का दोनों पक्षों की तरफ से देखने की रस्म पूरी हो चुकी थी. लड़का लड़की एक दूसरे को पसंद भी कर चुके थे. इसी माह बरात की तारीख तय होनी थी. लेकिन हाथियों का आतंक सुनकर लड़की पक्ष के लोगों ने गांव में शादी करने से इंकार कर दिया. अब तो स्थिति ऐसी है कि लोग गांव छोड़ने पर मजबूर हैं.


नेशनल हाईवे एनएच 99 से चार किलोमीटर दूरी पर पड़ुआ हरैया का जंगल है. जंगल से हाथी गांव में दाखिल होकर उत्पात मचाते हैं और फिर जंगल में वापस चले जाते हैं. हरैया पड़ुवा गांव में हांथियों का आतंक देखकर पड़ोसी गांव के ग्रामीण भी दहशत के मारे रात रात भर सो नहीं पा रहे हैं. गांव में घुसने पर हाथी घरों की दीवार तोड़ सारा अनाज चट कर जाते हैं. भयभीत ग्रामीण अनाज की बोरिया ट्रैक्टर में लाद दूसरे गांव तक पहुंचा रहे है ताकि अनाज हाथियों की पहुंच से दूर हो जाय. 


गांव से पलायन का भी मन बना रहे हैं लोग


हाथियों के आतंक की वजह से कई लोगों का सप्ताह भर से काम धंधा प्रभावित हो गया है. रात रात भर जगने के कारण कुछ लोग बीमार होने की भी बात भी बता रहे हैं. आप भी अगर हरैया पड़ुवा की हालत देख लेंगे तो रात भर सो नहीं पाएंगे. गांव वासियों को इस समय तत्काल मदद की बहुत जरुरत है. पड़ुआ हरैया के ग्रामीण हाथियों से मुक्ति दिलाने की मांग कर रहे हैं. नेताओं ने गांव से ही वन प्रमंडल पदाधिकारी एवं रेंजर चंदवा से फोन पर बात की. रेंजर ने आश्वासन दिया कि प्रशिक्षित टीम आज भेजेंगे. टीम लगातार गांव में कैंप कर गजराज के आतंक से ग्रामीणों को मुक्ति दिलाने तक गांव में ही रहेगी. मगर आश्वासन के बावजूद देर शाम तक वन विभाग की कोई टीम गांव नहीं पहुची. ऐसे में ग्रामीणों पारंपरिक हथियार, मशाल, लाठी डंडे ले कर हाथियों को भगाने की तैयारी कर ली है. ग्रामीणों में वन विभाग के रवैये ने नाराजगी है और लोगों की आंखों से आंसू निकल रहे है. झारखंड सरकार ने समस्या को देखते हुए चिंता जताई है.


मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि जंगली पशुओं के लिये अलग कॉरिडोर बनाया जायेगा. कॉरिडोर बनने से जंगली जानवर आम जिंदगी को प्रभावित नहीं कर पायेंगे. उन्होंने कहा कि वन्य जीव खासकर हाथी कॉरिडोर पर विभाग को विशेष ध्यान देने की जरुरत है. कॉरिडोर से गुजरने वाली सड़कों के किनारे दीवार या लोहे का ऊंचा बैरियर लगा देने से हाथियों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसके लिए अंडरपास का निर्माण बेहतर ढंग से करवाया जाए. जरुरत के मुताबिक ही अंडरपास का निर्माण किया जाए ताकि वन्यजीवों को सड़क पार करने में सुविधा हो. सड़क निर्माण में बदलाव लाने की जरुरत है. मुख्यमंत्री ने कोडरमा वन्य प्राणी आश्रयणी से होकर गुजरने वाली नेशनल हाईवे के चौड़ीकरण के लिए एक समिति गठन करने की बात भी कही है. हालांकि अब देखने वाली बात ये है कि इस गांव को हाथियों के तांडव से कब तक राहत मिल पाएगी. 


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