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Jharkhand News: हत्या और आर्म्स एक्ट के आरोपी नक्सली ने किया सरेंडर, कहा- खौफ में लोग नक्सलियों को सौंप देते हैं बच्चे
Lohardaga Naxalite Surrendered: एसपी ने नक्सलियों से गुजारिश करते हुए कहा कि भटके हुए जो लोग हैं, वे वापस लौट कर समाज के मुख्यधारा से जुड़े. सरकार की पॉलिसी का लाभ लेकर एक बेहतर जिंदगी का सपने सजाए.
![Jharkhand News: हत्या और आर्म्स एक्ट के आरोपी नक्सली ने किया सरेंडर, कहा- खौफ में लोग नक्सलियों को सौंप देते हैं बच्चे Lohardaga Naxalite Surrendered: Naxalite suraj nath kherwar surrendered in front of police in Lohardaga in jharkhand ann Jharkhand News: हत्या और आर्म्स एक्ट के आरोपी नक्सली ने किया सरेंडर, कहा- खौफ में लोग नक्सलियों को सौंप देते हैं बच्चे](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/04/07/ad2330410fc333cf375b5860dd86f91b_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
पुलिस के साथ सरेंडर करने वाले नक्सली सूरज नाथ खेरवार
Naxalite Surrendered in Lohardaga: झारखंड (Jharkhand) में नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए पुलिस के ऑपरेशन 'डबल बुल' का रंग दिखने लगा है. इस ऑपरेशन के बाद नक्सली सरेंडर करने लगे हैं. इसी क्रम में बुधवार को लोहरदगा (Lohardaga) जिले में एक नक्सली ने खुद को पुलिस प्रशासन के सामने समर्पण कर एक नये जीवन ओर अपना कदम बढ़ाया. इलस मौके पर जिले की एसपी प्रियंका मीणा (SP Priyanka Meena) और डीसी वी पी कृष्ण (DC V P Krishna) ने समर्पण करने वाले नक्सली को सरकार के सरेंडर पॉलिसी के तहत सभी लाभ देने की बात कही.
एसपी ने नक्सलियों से गुजारिश करते हुए कहा कि भटके हुए जो लोग हैं, वे वापस लौट कर समाज के मुख्यधारा से जुड़े और सरकार के बनाए गए पॉलिसी का लाभ लेकर एक बेहतर जिंदगी का सपने सजाए, नहीं तो जान से हाथ धोने के साथ बहुत कुछ नुकसान हो सकता है. एक सवाल के जवाब में एसपी प्रियंका मीणा ने कहा कि नक्सल जल्दी खत्म होने वाली नहीं है, लेकिन सरकार का प्रयास है कि नक्सलियों को मुख्यधारा में लाकर नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म कर देना है. पुलिस भी लगातार ऑपरेशन चला रही है. पुलिस पता लगा रही है कि कौन इन नक्सलियों को मदद कर रहा है. ऐसे लोगों पर भी मामला दर्ज किया जाएगा और कार्रवाई की जाएगी.
नक्सली कमांडर जारी करता था ये फरमान
दूसरी तरफ सरेंडर करने वाले नक्सली सूरज नाथ खेरवार ने अपने जीवन के दर्द को मीडिया के सामने रखा. सूरज नाथ खेरवार ने बताया कि गांव के लोग किस तरह नक्सली के दवाब में जीते हैं. उसने बताया कि वह गांव और परिवार के लिए बारह साल की उम्र में नक्सली बन गया. सूरज नाथ खेरवार ने ने कहा कि बुलबुल गांव पूरी तरह से नक्सलियों के अधीन था, लोग डर के साये में जीते थे. खौफ में जीते लोग अपने कलेजे के टुकड़े को नक्सल के हाथों में सौंप देते थे, ताकि परिवार के अन्य लोग इसके शिकार नहीं बने. सूरज नाथ खेरवार ने कहा कि गांव में नक्सली कमांडर फरमान जारी करता था कि हर घर से एक बच्चे को नक्सली संगठन के लिए देना होगा, जो इसमें सहयोग नहीं करेगा उसे न लकड़ी काटने दिया जाएगा और न ही जंगल से महुआ चुनने दिया जाएगा. ऐसी स्थिति में घर वालों के हित का ख्याल रखते हुए नक्सली संगठन से जुड़ने का फैसला लिया.
सरेंडर करने वाले नक्सली पर दर्ज थे कई मामले
सूरज नाथ खेरवार ने कहा, "तनाव भरी जिंदगी में कभी आराम नहीं मिल पाया. ऊपर से जान का भी खतरा अलग था, लेकिन इस बीच पुलिस का ऑपरेशन शुरू हो गया. इस दौरान कई नक्सली मारे और पकड़े गए. हमें भी भागने का मौका मिला और हमने सरेंडर किया है." खेरवार ने कहा कि कई और भी नक्सली सदस्य मुख्यधारा में लौटने को तैयार हैं. इस मौके पर डीसी वी पी कृष्ण ने कहा कि जो भी नक्सली मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं, हम उनका स्वागत करते हैं. पुलिस के मुताबिक पेशरार थाना क्षेत्र के बुलबुल निवासी सूरज नाथ खेरवार उर्फ गुड्डू के ऊपर आठ मामले सीएलए एक्ट, विस्फोटक अधिनियम, आर्म्स एक्ट, मुठभेड़, प्रतिबंधित संगठन माओवादी से जुड़ने, हथियारों की बरामदगी और हत्या के मामले दर्ज हैं.
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