Lok Sabha Elections: झारखंड में लोकसभा और विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टियों ने तैयारी शुरू कर दी है. बता दें कि, झारखंड की राजनीति में तीन ही दल ही मैदान में दिखते हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP)लोकसभा के पिछले दो चुनावों में देखें तो बीजेपी सबसे अधिक ताकतवर बन कर उभरी तो 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), कांग्रेस और आरजेडी के गठबंधन ने बाजी मारी.
वहीं 2014 के विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की लहर थी. इसलिए लोकसभा के साथ विधानसभा में भी बीजेपी ने बहुमत की सरकार बना ली थी. साथ ही साल 2019 में जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन ने बीजेपी को पछाड़ दिया. वहीं इस बार बीजेपी भी तैयारी में जुटी है, लेकिन रफ्तार अभी सुस्त है. चर्चा है कि जल्दी ही बीजेपी झारखंड में अपना अध्यक्ष बदलेगी. इसके साथ ही बीजेपी में साफ सुथरी छवि के कद्दावर नेता सरयू राय का साथ छोड़ना बीजेपी को महंगा पड़ गया. सीएम के रूप में गैर आदिवासी चेहरा रघुवर दास से आदिवासी-मूलवासी समाज को तो पहले से ही चिढ़ थी, सरयू राय का टिकट काटने में उनकी भूमिका ने पार्टी के भीतर उनके कई दुश्मन खड़े कर दिए.
बीजेपी छोड़ी है, नीति और सिद्धांत नहीं- राय
नतीजा यह हुआ कि पार्टी तो हारी ही, रघुवर दास भी अपनी सीट नहीं बचा सके. उनको हराने वाला भी विरोधी दलों का कोई नेता नहीं, बल्कि टिकट कटने पर निर्दल उम्मीदवार के रूप में सरयू राय ने ही उनकी खाट खड़ी कर दी थी. तब से दोनों के बीच अनबन बनी हुई है. बीजेपी के ही लोग बताते हैं कि सरयू राय के टिकट कटने से लेकर उनकी वापसी बीजेपी में न हो पाने के लिए रघुवर दास ही जिम्मेदार हैं. फिलहाल, निर्दलीय विधायक सरयू राय अक्सर कहते हैं कि, मैंने बीजेपी छोड़ी है, नीति और सिद्धांत वही हैं. बीजेपी के बड़े नेताओं से अब भी उनके ताल्लुकात हैं. आरएसएस के लोगों से उनके पहले जैसे ही संबंध हैं.
क्या बीजेपी में वापस लौटेंगे सरयू राय?
राय के बारे में अक्सर अटकलें लगती हैं कि वे बीजेपी में लौट रहे हैं. बीजेपी के राज्य स्तर के नेता तो इस पर कुछ बोलते ही नहीं, लेकिन अधिकतर की भाव भंगिमा सरयू राय के बीजेपी में लौटने की अटकलें सुनते ही बदल जाती हैं. वे खुश हो जाते हैं, दूसरी ओर सरयू राय इस तरह की अटकलों को सिरे से खारिज करते हैं. वे कहते हैं कि बीजेपी में लौटने की अटकलें निराधार हैं. वैसे उन्होंने बीजेपी के नीति-सिद्धांत अब भी नहीं छोड़े हैं.
लोबिन हेम्ब्रम होंगे शामिल?
बीजेपी ने पार्टी में आदिवासी नेताओं की कमी पूरी करने के लिए संथाल के पुराने नेता सुफल मरांडी को अपने साथ कर लिया है. दिसंबर 2022 में सत्ताधारी पार्टी जेएमएम के पूर्व विधायक सुफल मरांडी ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. वहीं अब बीजेपी की नजर जेएमएम के विधायक लोबिन हेम्ब्रम पर है. लोबिन पार्टी नेतृत्व से लगातार नाराज चल रहे हैं. ऐसे में संभव है कि वो बीजेपी के किसी केंद्रीय नेता के आते ही पार्टी का झंडा थाम लें.