(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Lok Sabha Elections 2024: बाबूलाल मरांडी की ताजपोशी से बदलेगी CM सोरेन की रणनीति, इस मुद्दे पर हो सकता है वोटों का ध्रुवीकरण
Lok Sabha Elections: लोकसभा चुनाव में बीजेपी और झामुमो में आदिवासी वोटों के लिए मुकाबला होगा. जहां बाबूलाल संताल आदिवासी समुदाय से आते हैं. वहीं हेमंत सोरेन भी संताली हैं.
Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव से पहले झारखंड में सियासी हलचल तेज हो गई है. दरअसल, बीजेपी ने राज्यसभा सदस्य दीपक प्रकाश के स्थान पर बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. बता दें कि, बाबूलाल मरांडी की ताजपोशी से बीजेपी के साथ-साथ सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस गठबंधन में भी सुगबुगाहट तेज हो गई है. वहीं इसे भांपते हुए झामुमो भी अपनी रणनीति बदल सकता है.
दरअसल, आदिवासी वोटों पर झामुमो की मजबूत पकड़ है. इसका उदाहरण संताल परगना और कोल्हान प्रमंडल है, जहां से उसके सर्वाधिक विधायक हैं. बता दें कि, पिछले विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए झामुमो-कांग्रेस विधायक ने संताल परगना की 18 में से 14 सीटों पर कब्जा कर लिया था. कोल्हान प्रमंडल में तो बीजेपी का खाता तक नहीं खुला था. वहीं दोनों प्रमंडल आदिवासी बहुल हैं, जहां सबसे ज्यादा आदिवासी वोटों के लिए मारामारी होगी.
आदिवासी वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है
बता दें कि, बाबूलाल मरांडी लगातर संताल परगना में मिनी एनआरसी का मुद्दा उछाल रहे हैं. उन्होंने तो जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) में बदलाव के लिए झामुमो के साथ-साथ कांग्रेस को भी जिम्मेदार ठहराया है, ऐसे में वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है. ऐसे में झामुमो इसे देखते हुए सक्रियता बढ़ाने की रणनीति बना रहा है. बुधवार को मोर्चे की केंद्रीय समिति की बैठक में इस संबंध में निर्देश भी दिए गए हैं. वहीं तैयारी पहले लोकसभा सीटों को लेकर है. वहीं बाबूलाल मरांडी की भी परीक्षा पहले लोकसभा चुनावों में होगी, क्योंकि बीजेपी का लक्ष्य सभी 14 सीटें जीतने का है. उसके पास फिलहाल 12 सीटें हैं.
आदिवासी समुदाय से आते हैं दोनों नेता
झामुमो की रणनीति को देखते हुए लग रहा है कि इस बार पहले की अपेक्षा ज्यादा सीटों पर उसकी दावेदारी होगी. पिछले लोकसभा चुनाव में झामुमो ने पांच सीटों पर चुनाव लड़कर एक सीट पर जीत हासिल की थी. जबकि कांग्रेस के खाते में नौ सीटें आई थी, लेकिन महज एक ही प्रत्याशी जीत दर्ज कर पाया. ऐसी स्थिति में दबाव कांग्रेस पर होगा, क्योंकि बाबूलाल मरांडी आक्रामक तरीके से अपनी रणनीति बनाएंगे. दोनों पार्टियों में आदिवासी वोटों के लिए मुकाबला होगा. बाबूलाल संताल आदिवासी समुदाय से आते हैं. सीएम हेमंत सोरेन भी संताली हैं. केंद्रीय नेतृत्व ने इसे समझते हुए बाबूलाल को आगे किया है.
केंद्र ने तय किया मरांडी का नाम
बाबूलाल मरांडी को झारखंड में बीजेपी की कमान सौंपने के पहले केंद्रीय नेतृत्व ने विभिन्न स्तर पर फीडबैक लिया. वरीय नेताओं के साथ मशविरा के साथ-साथ विधायकों को भी टटोला गया. ज्यादा विधायकों ने बाबूलाल मरांडी के नाम को आगे किया. खासकर युवा विधायकों की राय उनके पक्ष में थी. उनका कहना था कि बाबूलाल मरांडी की छवि एक साथ कई मोर्चे पर पार्टी के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आएगी.