(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Maha Shivratri 2022: झारखंड में स्थित है भगवान शिव का यह अद्भुत मंदिर, जानें इसका रावण से क्या है कनेक्शन?
Maha Shivratri 2022: एक मार्च को पुरे देश में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. इस पावन और पवित्र दिन को भक्त व्रत-उपवास रखते हैं.और दान पुण्य करते हैं.
Maha Shivratri 2022: आज पूरे देश में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है इस दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस पावन और पवित्र दिन को भक्त व्रत-उपवास रखते हैं,मंदिरों में जाते है और दान पुण्य करते हैं. ऐसा ही एक मंदिर झारखंड के देवघर में स्थित है जहां पुरे साल भक्तों का जनसैलाब उमड़ा रहता है. महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर बाबा के मंदिर में जलाभिषेक का खास महत्व है.
मंदिर का यह रहा है इतिहास
आपको बता दें कि देवघर को बैद्यनाथ धाम के नाम से जाना जाता है. यह एक महत्वपूर्ण सनातन हिंदू धर्म तीर्थ स्थल है. यहां के लोगों द्वारा बताया जाता है कि महादेव के भक्त रावण और बाबा बैजनाथ की कहानी बड़ी अलग है. पौराणिक कथा के अनुसार दशानन रावण भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए हिमालय पर तप कर रहा था. इस तप के दौरान वह एक-एक करके अपने सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ा रहा था. नौ सिर चढ़ाने के बाद जब रावण दसवां सिर काटने वाला था तो भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए और उससे वर मांगने को कहा. तब रावण ने भोलेनाथ से 'कामना लिंग' को लंका ले जाने का वरदान मांगा. रावण के पास सोने की लंका के अलावा तीनों लोकों में शासन करने की शक्ति तो थी. साथ ही उसने कई देवता, यक्ष और गंधर्वो को कैद करके भी लंका में रखा हुआ था. इस वजह से रावण ने ये इच्छा जताई कि भगवान शिव कैलाश को छोड़ लंका में रहें.
भोलेनाथ ने उसकी इस मनोकामना को पूरा तो किया पर साथ ही रावण के समक्ष एक एक शर्त भी रखी. उन्होंने कहा कि अगर तुमने शिवलिंग को रास्ते में कही भी रखा तो मैं फिर वहीं रह जाऊंगा और नहीं उठूंगा. रावण ने भोलेनाथ की ये शर्त मान ली और शिवलिंग को कंधे पर लेकर चल पड़ा. इधर भगवान शिव की कैलाश छोड़ने की बात सुनते ही सभी देवता चिंतित हो गए. सभी देवता इस समस्या के समाधान के लिए भगवान विष्णु के पास गए. तब भगवान विष्णु ने एक लीला रची. भगवान विष्णु ने वरुण देव को आचमन के जरिए रावण के पेट में घुसने को कहा, और जब रावण आचमन करके शिवलिंग को लेकर लंका की ओर चला तो देवघर के पास उसे लघुशंका लगी. ऐसे में रावण एक ग्वाले को शिवलिंग लेकर लघुशंका करने चला गया. कहते हैं बैजू ग्वाले के भेष में स्वयं भगवान विष्णु वहां विराजमान थें. इस वजह से भी यह तीर्थ स्थान को बैजनाथ धाम और रावणेश्वर धाम दोनों नामों से जाना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार रावण कई घंटो तक लघुशंका करता रहा जो आज भी एक तालाब के रूप में देवघर में मौजूद है. बैजू ग्वाले के रुप में आए भगवान विष्णु ने शिवलिंग धरती पर रखकर उसे वही स्थापित कर दिया. जब रावण लघुशंका से लौटकर आया तो लाख कोशिश के बाद भी शिवलिंग को उठा नहीं पाया. तब उसे भी भगवान की यह लीला समझ में आ गई और वह क्रोधित शिवलिंग पर अपना अंगूठा गढ़ाकर चला गया. उसके बाद ब्रह्मा, विष्णु आदि देवताओं ने आकर उस शिवलिंग की पूजा की. शिवजी का दर्शन होते ही सभी देवी-देवताओं ने शिवलिंग की उसी स्थान पर स्थापना कर दी और शिव-स्तुति करके वापस स्वर्ग को चले गए. तभी से महादेव 'कामना लिंग' के रूप में देवघर में विराजते हैं.
12 ज्योतिर्लिंग में से है एक
यहां बताया जाता है कि पुरे भारत में फैले भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है इसके अलावा 51 शक्तिपीठों में से एक है. दरअसल हिंदू कैलेंडर परंपरा के मुताबिक श्रावण की मीला के लिए प्रसिद्ध है. इसके अलावा आपको यह भी बता दें कि देवघर यात्रा में जुलाई और अगस्त (श्रावण महिने में) के बीच प्रत्येक वर्ष 7 से 8 लाख श्रद्धालु भारत के विभिन्न हिस्सों से आते हैं जो सुल्तानगंज में गंगा के विभिन्न क्षेत्रों से पवित्र जल लाते हैं, जो देवघर से लगभग 108 किमी दूर है. , यह भगवान शिव को पेश करने के क्रम में उस महीने के दौरान, भगवा-रंगे कपड़ों में लोगों की एक लाइन 108 किमी तक फैली हुई रहती है. यह एशिया का सबसे लंबा मेला है.
महाशिवरात्रि के दिन होता है भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि के पावन पर्व माना जाता है. यही कारण है कि यहां स्थित ज्योतिर्लिंग की महिमा का पुराणों में भी गुणगान किया गया है. भगवान शिव के मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती विवाह उत्सव मनाया जाता है. यही वजह है कि यहां भगवान भोलेनाथ पर शिवरात्रि के दिन सिंदूर चढ़ाने प्राचीन परंपरा है. महाशिवरात्रि के दिन वैदिक रीति-रिवाज और मंत्रोच्चार के साथ भोलेनाथ की चतुष् प्रहर पूजा की जाती है. इस बार मंगलवार को महाशिवरात्रि पड़ने से इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ गया है. जिससे लोगों में काफी उत्साह है.
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