Jharkhand News: 557 दिनों से तीर्थराज सम्मेद शिखर ( पारसनाथ ) में सिंघनिष्क्रीडित व्रत में साधनारत अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर महाराज ( Prasanna Sagar Maharaj) ने शनिवार को पारसनाथ टोंक स्वर्णभद्रकूट पर ही महापरणा संपन्न किया. इसके बाद जैनाचार्य सम्मेद शिखर से नीचे उतरे. इस दौरान भक्तों में काफी उत्साह देखा गया. जैनाचार्य के महापरणा करने के बाद शिखर से चलते समय ही पुष्प वर्षा भी की गई.  


व्रत और मौन साधना में थे लीन


जैन धर्म के चौबीस में से बीस तीर्थंकरों की निर्वाणभूमि सिद्धक्षेत्र सम्मेदशिखर जी पारसनाथ में अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज कठिन सिंघनिष्क्रीडित व्रत और मौन साधना में लीन थे. अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर महाराज 557 दिन की अखंड मौन साधना और एकांतवास में रहे. पारसनाथ पर्वत की सर्वोच्च चोटी पर स्थित गुफा में 557 दिन की कठिन सिंघनिष्क्रीडित व्रत की यात्रा के दौरन उन्होंने 61 दिन की पारणा विधि यानी आहारचर्या पूरी कर 496 दिनों का निर्जला उपवास भी रखा. 


23 जुलाई 1970 को हुआ था प्रसन्न सागर महाराज जन्म


प्रसन्न सागर महाराज मध्य प्रदेश के छतरपुर के रहनेवाले हैं. उनका जन्म 23 जुलाई 1970 को हुआ था. उन्होंने महज 16 वर्ष की आयु में 12 अप्रैल 1986 को  ब्रह्चार्य व्रत रखा. इसके बाद 18 अप्रैल 1989 को प्रसन्न सागर महाराज ने मुनि की दीक्षा ली. उन्होंने 23 नवंबर 2019 में आचार्य पद हासिल किया. कहा जाता है कि इस तरह की कठिन व्रत की साधना जैन तीर्थंकर भगवान महावीर ने की थी.  बता दें आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज को कई उपाधियों से सम्मानित किया जा चुका है. 


दीक्षा महोत्सव का भी होगा  आयोजन


बताते चलें कि महापरणा का मुख्य कार्यक्रम मधुबन फुटबॉल मैदान आयोजित कार्यक्रम हुआ. इस महापरणा महोत्सव में देश विदेश के हजारों श्रद्धालुओं जुटे हैं. साथ ही यहां पर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के साथ साथ भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव और भव्य जैनेश्वरी दीक्षा महोत्सव का भी आयोजन होगा. वहीं इन सब कार्यक्रमों में योग गुरु बाबा रामदेव भी शामिल होंगे.


रिपोर्टर- अमर


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