Jharkhand Coal Mines Methane Gas: झारखंड की कोयला खदानों से निकलने वाली मिथेन गैस के व्यावसायिक दोहन और उत्पादन की प्रक्रिया तेज हो गई है. केंद्र सरकार (Central Government) की ओर से तय किए गए रोडमैप के अनुसार काम हुआ तो झारखंड (Jharkhand) के झरिया (Jharia), गोमिया (Gomiya) और नॉर्थ कर्णपुरा इलाके की कोयला खदानों (Coal Mines) से निकाली जाने वाली मिथेन गैस (Methane Gas) अगले साल के अंत तक पाइपलाइन के जरिए देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचनी शुरू हो जाएगी. इसका इस्तेमाल बिजली उत्पादन, रसोई गैस और वाहनों के ईधन के तौर पर होगा.
झारखंड में हैं 3 ब्लॉक
मिथेन के व्यावसायिक उत्पादन के लिए केंद्र सरकार ने पहले चरण में 6 राज्यों में कोल बेड मिथेन के साढ़े आठ हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल वाले 15 ब्लॉक की पहचान की है. इनमें से 3 ब्लॉक झारखंड में हैं. इनका क्षेत्रफल 503.11 वर्ग किमी है. 2023-24 तक सीबीएम (कोल बेड मिथेन) से 50 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस उत्पादन का लक्ष्य है.
उत्पादन की तैयारियां शुरू
कोल इंडिया लिमिटेड और उसकी सहायक कंपनियों ने झारखंड स्थित तीनों ब्लॉक में उत्पादन की तैयारियां शुरू कर दी हैं. सबसे पहली शुरुआत बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) के मुनीडीह प्रक्षेत्र के झरिया से हो रही है. यहां मौजूद सीबीएम (कोल बेड मिथेन)-1 से मिथेन उत्पादन और वितरण के लिए गुजरात की कंपनी प्रभा एनर्जी प्रा.लि.के साथ 30 वर्षों का करार हुआ है. यहां से निकलने वाली गैस को गेल की ऊर्जा गंगा पाइपलाइन के जरिए देश के दूसरे हिस्सों में पहुंचाया जा सकेगा. मुनीडीह से महज 8 किमी की दूरी पर ये पाइपलाइन बिछाई जा चुकी है.
प्राकृतिक गैस है मिथेन
बता दें कि, मिथेन प्राकृतिक गैस है. ये जमीन की गहराई में पाई जाती है. खासतौर पर ये कोयला खदानों में मिलती है. इसे कोल बेड मिथेन कहते हैं. झारखंड में धनबाद, रामगढ़ और बोकारो में 16 लाख घन मीटर मिथेन गैस के भंडार का पता लगाया गया है. इसके उत्पादन और दोहन के प्रोजेक्ट्स पर कोल इंडिया लिमिटेड के साथ-साथ ओएनजीसी भी काम कर रहा है. ओएनजीसी ने इन क्षेत्रों में करीब 300 कुएं खोदने का फैसला लिया है. इस गैस से हर साल लगभग 400 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकेगा और 20 लाख से अधिक परिवारों को एलपीजी के विकल्प के रूप में मिथेन गैस उपलब्ध कराई जा सकेगी.
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