Ranchi : झारखंड सरकार के मिड डे मील के खाते से करीब 100 करोड़ रुपये के फर्जी हस्तांतरण से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में आरोपी संजय कुमार तिवारी ने प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate ) की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया है. तिवारी भानु कंस्ट्रक्शन का संचालक है. आपको बता दें कि 'मिड डे मिल घोटाला' की जांच ईडी कर रहा है. रांची के अरगोड़ा स्थित संजय तिवारी के आवास पर शनिवार को ईडी ने छापेमारी की थी. ये कार्रवाई पीएमएलए कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी किए जाने पर की गई, लेकिन संजय पुलिस को वहां नहीं मिला.


कोर्ट को गुमराह करने के लिए जमा किए फर्जी दस्तावेज 


बताते चलें कि संजय ने सुप्रीम कोर्ट से वादा किया था कि वह अपने पूर्वजों से मिली जमीन वाराणसी के प्रसिद्ध होटल 'होटल क्लार्क, वाराणसी' के निदेशक को 17.54 करोड़ रुपये में बेच कर पैसे बैंक को दे देगा, जिसकी कॉपी कोर्ट में सौपी गई थी. उसके बाद ईडी ने जांच के बाद यह दावा फर्जी पाया गया है.  ईडी ने जांच में पाया कि संजय तिवारी ने खरीद- बिक्री के जो कागजात कोर्ट में पेश किए, वे फर्जी हैं क्योंकि संजय तिवारी के नाम वह सम्पति है ही नहीं. उसने कोर्ट को गुमराह करने की साजिश रची थी. बच्चों का निवाला गटकने वाले संजय पर कानून का शिकंजा जकड़ता जा रहा है.


ईडी के बढ़ते दबाव पर किया आत्मसमर्पण


ईडी लगातार आरोपी संजय तिवारी पर दवाब बढ़ा रहा था. जिसके बाद आरोपी को आखिरकार समर्पण करना पड़ा. उसके सरेंडर के बाद अब कई राज खुलने के आसार हैं. संजय की गिरफ्तारी प्रशासनिक महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ है. संजय को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोर्ट में 25 मार्च को सरेंडर करना था, लेकिन उसने इससे बचने के लिए कोविड-19 की गलत जानकारी ईडी कोर्ट को दी. इसके बाद से वह फरार हो गया. उसकी फरारी के बाद ईडी ने उसकी गिरफ्तारी के लिए ईडी कोर्ट से वारंट हासिल किया. ईडी की टीम ने संजय की गिरफ्तारी के लिए उसके रांची के अरगोड़ा स्थित आवास पर छापेमारी भी की. साथ ही उसके ठिकानों पर लगातार नजर रख रही थी. अंत में कोई चारा न देख उसे कोर्ट की शरण में जाना पड़ा.


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