Teachers in Jharkhand Universities: झारखंड (Jharkhand) के सरकारी विश्वविद्यालयों (Universities) और कॉलेजों में शिक्षकों (Teachers) की बेहद कमी है. शिक्षकों के 40 से 50 फीसदी पद वर्षों से खाली पड़े हैं. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission) ने इसे लेकर गहरी चिंता जताई है. आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और कॉलेजों के प्राचार्यों को इस बाबत पत्र लिखा है. विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति करने और आगामी 31 दिसंबर तक शिक्षकों की अपडेटेड लिस्ट यूजीसी के पोर्टल पर अपलोड करने को कहा गया है. इसके पहले बीते 5 नवंबर को झारखंड में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) भी शिक्षकों के पद रिक्त पड़े रहने पर गहरी चिंता जता चुके हैं. उन्होंने यहां तक कहा कि उन्हें इस बात पर हैरत है कि इतने कम शिक्षकों में राज्य के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पढ़ाई कैसे संभव हो पा रही है. 


रिक्त हैं लगभग 1250 पद 
झारखंड में पिछले 13 सालों से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों के नियमित पदों पर नियुक्ति नहीं हुई है. राज्य बनने के बाद मात्र एक बार 2008 में झारखंड लोक सेवा आयोग ने व्याख्याताओं के 745 पदों पर नियुक्ति के लिए परीक्षा आयोजित की थी. ये परीक्षा भी विवादों में फंसी और सीबीआई जांच में इस परीक्षा में गड़बड़ियों की बात प्रमाणित भी हुई. इसके बाद से विश्वविद्यालयों में कभी नियमित बहाली नहीं हुई, जबकि साल दर साल शिक्षक रिटायर होते गए. मौजूदा स्थिति ये है कि शिक्षकों के लगभग 1250 पद रिक्त हैं और इनपर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है. वर्ष 2012-13 के आंकड़ों के मुताबिक झारखंड के उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रत्येक 48 छात्र-छात्राओं पर औसतन एक शिक्षक उपलब्ध था. 2018-19 में ये अनुपात 73 हो गया. 2021 के आंकड़ों की रिपोर्ट नहीं आई है, लेकिन अनुमान है कि अब झारखंड में 85 से 90 छात्रों पर एक शिक्षक है. अखिल भारतीय आंकड़ों के अनुसार 29 छात्रों पर एक शिक्षक उपलब्ध है.


आरक्षण और नियमावलियों के चलते फंसा पेंच
झारखंड के संथाल परगना बात करें तो यहां के 13 कॉलेजों में छात्रों की संख्या तकरीबन 60 हजार है, जबकि शिक्षकों की संख्या मात्र 271 है. इस हिसाब से लगभग 220 छात्रों पर मात्र एक शिक्षक उपलब्ध है. झारखंड के 2018 के आंकड़ों के अनुसार विश्वविद्यालयों में सहायक प्राध्यापकों के 1,118 पद खाली थे. आज की तारीख में ये संख्या 1200 के करीब पहुंच गई है. 2018 के ही आंकड़ों के मुताबिक रांची विश्वविद्यालय में 268, विनोबा भावे विश्वविद्यालय में 155, सिदो कान्हू विश्वविद्यालय में 190, नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय में 107 और कोल्हान विश्वविद्यालय में 364 और डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में 75 पद अभी खाली हैं. इनमें 552 पद पर सीधी और 556 पर बैकलॉग नियुक्तियां की जानी हैं. बैकलॉग नियुक्तियां हर साल बढ़ रही हैं, लेकिन झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा नियुक्तियों की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है. आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि आरक्षण और नियमावलियों के पेंच के चलते नियुक्ति प्रक्रिया बाधित है. हालांकि अक्टूबर और नवंबर में बैकलॉग के आधार पर लगभग 3 दर्जन शिक्षकों की नियुक्ति हुई है.


शिक्षकों की है कमी
आलम ये है कि झारखंड के कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कई विषयों के पाठ्यक्रम तो चल रहे हैं, लेकिन उनमें एक भी शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं. मसलन, पलामू स्थित जीएलए कॉलेज का मनोविज्ञान विभाग लंबे समय तक बिना शिक्षक के संचालित होता रहा. बैकलॉग नियुक्ति के बाद एक शिक्षक इस विभाग को मिला है. इसी तरह जनता शिवरात्रि कॉलेज में राजनीति विज्ञान और हिन्दी विभाग में एक भी शिक्षक नहीं हैं तो एकमात्र महिला कॉलेज वाईएसएनएम कॉलेज में गणित और भौतिकी जैसे महत्वपूर्ण विभाग बिना शिक्षक के चल रहे हैं. 


राज्यपाल ने बुलाई थी बैठक 
बता दें कि, राज्य के विश्वविद्यालयों की स्थिति की समीक्षा के लिए राज्यपाल सह कुलाधिपति रमेश बैस ने बीते एक नवंबर को बैठक बुलाई थी. उन्होंने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा था कि पद रिक्तियों की समस्या दूर करने के लिए विश्वविद्यालय को समय पर सरकार को अधियाचना भेजनी चाहिए. राज्यपाल ने सरकार के अधिकारियों और झारखंड राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष से भी कहा था कि वे रिक्त पदों को भरने की दिशा में प्रभावी कदम उठाएं. 


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