Jharkhand News: झारखंड के हजारीबाग (Hazaribagh) में कटकमसांडी जलमा निवासी अंतू साव का परिवार जाति, धर्म, संप्रदाय की नफरत से कहीं दूर छह पीढ़ियों से ताजिया बना रहा है. हजारीबाग में हसन-हुसैन की शहादत का मातमी त्योहार मुहर्रम का महीना आते ही अंतू साव के तजिया का जिक्र शुरू हो जाता है. बता दें कि, अंतू साव का परिवार छह पीढ़ियों से गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल कायम कर रहा है. 


यहां जब मुहर्रम का ताजिया निकलता है, तो सबसे पहले उनके ही घर के सामने फातिहा पढ़ा जाता है. अंतु साव के ताजिया के पीछे-पीछे पूरे गांव का ताजिया निकलता है. यह ताजिया गांव में घूमने के बाद कर्बला तक पहुंचता है. दरअसल, अंतू साव का पूरा परिवार मिलकर ताजिया बनाता है. अब उनके बच्चे ताजिया बनाना सीख रहे हैं, वे लोग सिर्फ ताजिया बनाते ही नहीं हैं, बल्कि मुहर्रम के मौके पर ताजिया मिलान में मुसलमान भाईयों के साथ शामिल भी होते हैं. अंतू साव के तीन बेटे अनिल साव, रंजीत साव और राजू साव और पोता आर्यन भी ताजिया बनाना सीख रहे हैं. 


लगभग 25000 का आता है खर्च


इस समय उनकी उम्र 70 साल है, लेकिन ताजिया निकालने को लेकर उनके उत्साह में कोई कमी नहीं है. अंतू साव का परिवार 150 साल से ताजिया बना रहा है. वहीं अंतू साव कहते हैं यह सिर्फ ताजिया नहीं है, बल्कि मुसलमान भाईयों के प्रति उनका प्यार है. वहीं अंतु आगे बताते है कि अभी घर के बच्चे भी ताजिया बनाना सीख रहे है. आगे चलकर उन्हें भी ये परम्परा निभानी है. एक ताजिया को बनाने में लगभग 25000 का खर्च आता है. दरअसल, कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद में शनिवार को मुस्लिम समुदाय के लोग मुहर्रम मनाएंगे. कर्बला में हुई घटना के बाद सालों से या अली या हुसैन के नारे लगाए जा रहे हैं.



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