झारखंड का एक ऐसा गांव जहां मुस्लिम 150 सालों से कर रहे हैं काली माता की पूजा, हिंदुओं की तरह मनाते हैं दिवाली
दुमका के इस गांव में करीब डेढ़ सौ सालों से मुस्लिम समाज के लोग काली माता की पूजा करते हैं और दिवाली मनाते हैं. यहां करीब तीन हजार से ज्यादा मुस्लिम समुदायों के आबादी के बीच महज एक घर हिन्दू परिवार है.
धर्म को लेकर अक्सर कट्टरपंथी हिन्दू-मुस्लिम आमने सामने रहते हैं कभी कभी सौहार्द भी बिगड़ जाते है. लेकिन झारखंड के दुमका में एक गांव ऐसा है जहां करीब डेढ़ सौ सालों से मुस्लिम समाज के लोग काली माता की पूजा करते हैं और दिवाली मनाते हैं. इस गांव में करीब तीन हजार से ज्यादा मुस्लिम समुदायों के आबादी के बीच महज एक घर हिन्दू परिवार का है. यहां मुस्लिम समाज के लोग इस परिवार के साथ दिवाली मनाते हैं.
डेढ़ सौ साल से मनाया जाता है त्योहार
सूबे के दुमका में ढेबाडीह नाम के इस गांव में मुस्लिम समाज के लोग काली पूजा धूम धाम से मनाते हैं. आपसी भाईचारे के प्रतीक इस गांव में मुस्लिमों के सहयोग से करीब डेढ़ सौ सालों से काली की पूजा का त्योहार मनाया जाता है. यहां समुदाय काली माता की पूजा नहीं करते बल्कि शाम में मूर्ति विसर्जन में कंधा देते हैं. जो अपने आप में बेमिसाल है.
तीन दिन तक चलता है कार्यक्रम
गांव में आदिशक्ति माता काली की पूजा अमावस्या के एक दिन बाद इस समुदाय के लोग गांव के बीच भव्य मुर्ति बनाकर हर्षोल्लास के साथ त्योहार मनाते हैं. गांव में हिन्दु रीति-रविाजों के अनुसार माता काली को बकरे की बली दी जाती है. तीन दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम में यहां सभी बूढ़े, बच्चे और महिलायें नए कपड़े पहन कर इस पर्व का आनंद लेते है. पूजा के उपलक्ष्य में यहां एक दिवसीय मेला का आयोजन किया जाता है.
दूर-दूर से आते हैं लोग
इस खास मौके पर शिरकत करने के लिए मुस्लिम समाज के लोगों के रिश्तेादार भी दूर-दूर से आते हैं. दिवाली के दिन मुस्लिम घरों में दिए जलाए जाते हैं और उसी तरह खुशियां मनाई जाती हैं. इस त्योहार से पहले घरों की साफ सफाई और पेंट किया जाता है.
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