Jharkhand Coal Projects: कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी (Coal Minister Prahlad Joshi) और झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की मौजूदगी में शनिवार को रांची (Ranchi) में हुई द्विपक्षीय बैठक में झारखंड में कम से कम तीन नई कोल परियोजनाओं (Coal Projects) को चालू करने का रास्ता काफी हद तक साफ हो गया. अगर सब कुछ ठीक रहा तो राजमहल-तालझारी कोल परियोजना, हुर्रा कोल परियोजना और सियाल कोल परियोजना जल्द शुरू हो सकती है.


सीएम सोरेन ने रखी ये मांग 
इस बैठक के दौरान झारखंड की विभिन्न कोयला परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण, विस्थापितों के पुनर्वास, मुआवजा, रोजगार और राज्य सरकार को मिलने वाले राजस्व आदि से जुड़े मसलों पर चर्चा हुई. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोयला मंत्री के सामने झारखंड की सभी कोयला खदानों में 75 प्रतिशत नौकरी स्थानीय लोगों को देने की मांग रखी. उन्होंने झारखंड में कोयला परियोजनाओं के लिए ली गई जमीन के एवज में राज्य को मिलने वाली राशि के भुगतान का मुद्दा भी प्रमुखता से रखा. कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि कोल खनन परियोजनाओं को लेकर राज्य सरकार की जो भी मांग है, उस पर केंद्र सरकार विचार विमर्श कर आवश्यक कार्रवाई करेगी. 


कोयला मंत्री ने दिया ये आश्वासन
कोयला मंत्रालय और ईसीएल के अधिकारियों ने झारखंड की राजमहल तालझारी कोल परियोजना को चालू करने में आ रही अड़चनों से राज्य सरकार को अवगत कराया. उन्होंने कहा कि अगर इसे चालू नहीं किया गया तो ईसीएल को बंद करने की तक की नौबत आ सकती है. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ना सिर्फ इस कोल परियोजना बल्कि झारखंड में स्थित सभी कोल परियोजनाओं में नौकरी और एक निश्चित राशि का टेंडर कॉन्ट्रैक्ट हर हाल में स्थानीय को मिले. इस मुद्दे पर केंद्रीय कोयला मंत्री ने कहा कि राजमहल तालझारी कोल परियोजना में अगले 2 साल तक के लिए एक करोड़ रुपए तक का टेंडर स्थानीय को दिया जाएगा. उन्होंने आने वाले दिनों में इसे सभी कोल कंपनियों में लागू किए जाने का आश्वासन दिया.


राजस्व को लेकर भी हुई हुई
मुख्यमंत्री ने विभिन्न कोल परियोजनाओं में सुरक्षा मानकों का पूरा ख्याल नहीं रखे जाने और विस्थापितों को बार-बार एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करने का भी मुद्दा रखा. कहा कि सीसीएल, बीसीसीएल और ईसीएल के द्वारा कोयला खनन के लिए जितना जमीन का अधिग्रहण किया जाता है, उसका इस्तेमाल नहीं होता है. वो जमीन यूं ही पड़ी होती है. अनुपयोगी जमीन के हस्तांतरण के मुद्दे को भी उन्होंने केंद्रीय कोयला मंत्री के समक्ष रखा. बैठक में मौजूद रहे राजमहल के सांसद विजय हांसदा ने कहा कि कोल कंपनियों द्वारा जमीन अधिग्रहण के बाद विस्थापितों का जहां पुनर्वास किया जाता है, उस जमीन का सेटलमेंट कागज उन्हें नहीं दिया जाता है. इस कारण उन्हें स्थानीय प्रमाण पत्र बनाने में तकनीकी अड़चनों का सामना करना पड़ता है. कोयला मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इस समस्या का समाधान करने के लिए आवश्यक पहल की जाएगी. बैठक में झारखंड की कोयला खदानों की नीलामी और उससे मिलने वाले राजस्व को लेकर भी चर्चा हुई.


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