Parliament Building Inauguration: इन दिनों देश में 28 मई को पीएम मोदी (PM Modi) द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर घमासान मचा हुआ है. कांग्रेस (Congress) समेत 20 दलों ने इस कार्यक्रम के बहिष्कार का एलान किया है, जिसके बाद बीजेपी (BJP) विरोधी दलों पर हमलावर है. ऐसे में झारखंड के केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) ने कहा कि, 'कांग्रेस को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए. आज इस तरह की बातें कहकर ये कोशिश कर रहे हैं कि हम आदिवासियों के नुमाइंदे हैं. उन्हें पहले अपनी करनी का मूल्यांकन करना चाहिए.' 


जयराम रमेश ने क्या कहा?
दरअसल, कांग्रेस नेता जयराम रमेश के ट्वीट पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने पलटवार करते हुए कहा कि,  विपक्षी दलों को राजनीति नहीं करनी चाहिए और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में भाग लेना चाहिए. दरअसल, जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा कि, नेहरू, जिन्होंने भारत में संसदीय लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिए सबसे अधिक काम किया, उनका 1964 में अंतिम संस्कार किया गया था. वहीं सावरकर, जिसकी विचारधारा ने ऐसा माहौल बनाया जो महात्मा गांधी की हत्या का कारण बना, उसका जन्म 1883 में हुआ था. 


इसके साथ ही राष्ट्रपति, जो इस पद पर बैठने वाली पहली आदिवासी हैं, उन्हें अपने संवैधानिक कर्तव्यों को निभाने नहीं दिया जा रहा है. उन्हें 2023 में नए संसद भवन के उद्घाटन की इजाज़त नहीं दी गई. वहीं एक आत्ममुग्ध तानाशाह प्रधानमंत्री, जिसे संसदीय प्रक्रियाओं से नफ़रत है, जो संसद में कम ही उपस्थित रहता है या कार्यवाहियों में भाग लेता है, 2023 में नए संसद भवन का उद्घाटन कर रहा है. इसके साथ ही तथ्यों को Distorians द्वारा तोड़-मरोड़ कर पेश करना और मीडिया का ढोल पीटना 2023 में गिरावट का सबसे नीचला स्तर है.


पीएम मोदी ने किया उद्घाटन
नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी 28 मई किया जा रहा है. 21 राजनीतिक दलों ने इसका बहिष्कार करने की घोषणा की है. नए भवन का निर्माण कार्य 10 दिसंबर 2020 को शुरू किया गया था, जब प्रधानमंत्री ने इसकी आधारशिला रखी थी. संसद की पुरानी बिल्डिंग 1927 में बनकर तैयार हुई थी और तकरीबन 100 साल पुरानी हो चुकी है.


नए संसद भवन की क्या है खासियत?
पुरानी बिल्डिंग की तरह ही नए इमारत में भी लोकसभा और राज्यसभा के लिए दो अलग-अलग चेंबर होंगे. लोकसभा चेंबर में जहां एक साथ 888 सदस्य सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है. वहीं राज्यसभा के चेंबर में एक साथ 384 सदस्य बैठ सकेंगे. पुरानी बिल्डिंग में संयुक्त सत्र का आयोजन सेंट्रल हॉल में किया जाता था, लेकिन नए इमारत में इसका आयोजन लोकसभा चेंबर में किया जाएगा, जिसमें जरूरत पड़ने पर एक साथ 1280 सांसद बैठ सकेंगे. 


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