Jharkhand Non Essential Rules: झारखंड (Jharkhand) में लगभग 1300 गैर जरूरी नियम-कानून या तो निरस्त किए जाएंगे या उन्हें सरल बनाया जाएगा. लगभग सभी विभागों में दशकों से ऐसे नियम चले आ रहे हैं, जो आज के हालात के मुताबिक अप्रासंगिक हो चुके हैं. इनकी वजह से व्यावसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और लोगों को नागरिक सुविधाओं का लाभ पहुंचाने में अड़चनें आ रही है. सरकार के विभिन्न विभागों ने ऐसे नियमों की पहचान की है. समीक्षा के बाद उन्हें खत्म करने या सरल बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह (Sukhdev Singh) ने विभिन्न विभागों के सचिवों को पत्र लिखकर इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने को कहा है. 


केन्द्र सरकार ने की थी पहल 
बता दें कि 'मिनिमाइजिंग रेगुलेटरी कॉम्प्लायन्सेज बर्डेन' की पहल केन्द्र सरकार ने सितम्बर 2020 में की थी. इसके तहत सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिए गए थे कि वो उन सभी विभागीय नियमों और कानूनों की पहचान करें, जो सरकार की मौजूदा नीतियों के अनुकूल ना हों. इस पहल का उद्देश्य 'ईज ऑफ डूईंग बिजनेस' और 'ईज ऑफ लिविंग' के लिए अनुकूल परिस्थतियों का निर्माण कराना है. 


किया जा रहा है कमेटियों का गठन 
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि झारखंड में कुल 1292 ऐसे क्षेत्रों की पहचान की गई है, जहां नियमावलियों को सरल किए जाने की जरूरत है. प्रत्येक विभाग में ऐसी कमेटियों का गठन किया जा रहा है जो नियम-कानूनों के गैरजरूरी बिंदुओं का अध्ययन करेंगी और मौजूदा परिस्थितियों एवं सरकारी नीतियों के अनुसार उनमें सुधार की सिफारिश करेंगी. सिफारिशों की समीक्षा के बाद इस दिशा में कार्रवाई की जाएगी.


198 गैर जरूरी नियमों में किया गया है सुधार 
झारखंड में पिछले एक साल में 198 गैर जरूरी नियमों में सुधार किया गया है. इनमें से 184 नियम व्यावसायिक गतिविधियों को प्रभावित करने वाले थे, जबकि 14 नियमों की वजह से नागरिक सेवाओं का लाभ पहुंचाने में अड़चन पैदा हो रही थी. जिन विभागों में सबसे ज्यादा गैरजरूरी नियमों को बदले जाने की जरूरत महसूस की जा रही है, उनमें श्रम, आबकारी, ऊर्जा, वन, रेरा, पर्यावरण, खाद्य एवं आपूर्ति, प्राथमिक शिक्षा, पंचायती राज, उच्च शिक्षा, गृह, चिकित्सा शिक्षा, राजस्व, आवास, मत्स्य, सिंचाई तथा जल संसाधन, तकनीकी शिक्षा, परिवहन एवं नगर विकास विभाग शामिल हैं.


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