Jharkhand में ओपन यूनिवर्सिटी खुलने का रास्ता साफ, जुलाई से 16 पाठ्यक्रमों की शुरू होगी पढ़ाई
Jharkhand News: झारखंड ओपन यूनिवर्सिटी खोलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. राज्यपाल की तरफ से इस यूनिवर्सिटी की स्थापना से जुड़े एक्ट को मंजूरी दिए जाने के बाद सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है.
Jharkhand State Open University: झारखंड (Jharkhand) स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी (Open University) की स्थापना का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है. राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) की तरफ से इस यूनिवर्सिटी की स्थापना से जुड़े एक्ट को मंजूरी दिए जाने के बाद सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है. इस यूनिवर्सिटी में विभिन्न तरह के डिस्टेंस कोर्स की पढ़ाई अगले साल जुलाई से शुरू हो जाने के आसार हैं. सरकार ने यूनिवर्सिटी को शुरू करने के लिए 5 करोड़ की ग्रांट मंजूर की है. इस यूनिवर्सिटी की स्थापना से संबंधित विधेयक झारखंड विधानसभा (Jharkhand Assembly) के विगत मॉनसून सत्र में पारित किया गया था.
जल्द होंगी नियुक्तियां
उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस विश्वविद्यालय का अस्थायी कार्यालय झारखंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (जेयूटी) परिसर में स्थापित होगा. बाद में इसके लिए अलग भवन का निर्माण कराया जाएगा. उम्मीद की जा रही है कि इस विवि में कुलपति, प्रतिकुलपति, रजिस्ट्रार और अन्य पदों पर जल्द ही नियुक्ति की जाएगी.
16 कोर्स की पढ़ाई शुरू करने की है मंजूरी
शुरुआत में यहां स्नातक, स्नातकोत्तर के अलावा कुल 16 कोर्स की पढ़ाई शुरू करने की मंजूरी दी गई है. बताया गया कि स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर हिंदी, अंग्रेजी, क्षेत्रीय भाषा, जनजातीय भाषा, इतिहास, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, बीएड, एमएड, बीबीए, एमबीए और अलावा सर्टिफिकेट व डिप्लोमा कोर्स के तहत हेल्थ केयर, जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन, टूरिज्म एंड हॉसपिटैलिटी सर्विस मैनेजमेंट, वोकेशनल कोर्स, जेंडर एंड डेवलपमेंट स्टडीज, सोशल वर्क और ट्राइबल स्टडीज की पढ़ाई होगी.
कई तरह के सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किए जाएंगे
रोजगार और कौशल विकास के साथ-साथ कई तरह के सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किए जाएंगे. इस यूनिवर्सिटी की स्थापना का उद्देश्य उन लोगों को उच्च शिक्षा से जोड़ना है, जो रोजगार या अन्य व्यस्तताओं के चलते नियमित पाठ्यक्रमों में दाखिला नहीं ले पाते हैं. उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग का प्रयास है कि सरकार से मिलने वाले शुरुआती अनुदान के बाद ये विश्वविद्यालय पूरी तरह अपने संसाधनों और अपने खर्च पर संचालित हो.
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