Jharkhand Operation Octopus: माओवादी नक्सलियों (Naxalites) के सुरक्षित पनाहगाह बूढ़ा पहाड़ को सुरक्षाबलों ने घेर लिया है. झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित इस दुर्गम पहाड़ के चारों ओर नक्सलियों ने कदम-कदम पर लैंडमाइंस, ग्रेनेड और बारूद बिछा रखी है. सुरक्षाबलों के सामने नक्सलियों की बारूदी साजिशों को नाकाम करने और पहाड़ पर चढ़ाई करने की चुनौती है. इस बार झारखंड (Jharkhand) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) दोनों ओर से एक साथ पहाड़ की घेराबंदी कर कार्रवाई की जा रही है. इसे ऑपरेशन ऑक्टोपस (Operation Octopus) का नाम दिया गया है. पिछले 15 दिनों से चल रहे ऑपरेशन के दौरान नक्सलियों ने पहाड़ से सटे थलिया और तिसिया जंगल में 30 से ज्यादा सिरियल विस्फोट कर सुरक्षाबलों को रोकने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षाबलों के जवान पूरी सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं.
भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद
लातेहार के एसपी अंजनी अंजन ने बताया कि बंकर से एक चाइनीज सिलेंडर ग्रेनेड, 35 चाइनीज ग्रेनेड, 3 चाइनीज कोन ग्रेनेड, 10 किग्रा के 2 सिलेंडर बम, 3 किलो की 11 लैंडमाइन, 2 किलो की 7 लैंडमाइंस, एक किलो की 6 लैंडमाइंस, 5 टिफिन बम, एक प्रेशर कुकर बम, 25 तीर बम, 2 किलो अमोनियम नाइट्रेट, 2 किलो यूरिया, अर्धनिर्मित बैरल ग्रेनेड लांचर, ड्रिल मशीन, 20 फीट अल्मुनियम सीट, 5 किलो नट बोल्ट, हैंडपंप सिलेंडर, एसएलआर की 350 गोलियां, 16 केन लैंडमाइंस, 3 प्रेशर लैंडमाइंस, 500 मीटर कोडेक्स वायर मिले हैं. विस्फोटकों की बरामदगी के बाद बंकर को ध्वस्त कर दिया गया है.
नक्सलियों का है जमावड़ा
सुरक्षाबलों और पुलिस के मुताबिक, बूढ़ा पहाड़ पर 30 से 35 नक्सलियों का जमावड़ा है. इनमें सौरभ उर्फ मरकुस बाबा और नवीन सबसे कुख्यात हैं. सौरभ को माओवादियों का स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य बताया जा रहा है. उस पर 25 लाख रुपये का इनाम है. इसके अलावा नवीन यादव, मृत्युंजय भुइंया, संतू भुइंया और रवींद्र गंझू जैसे नक्सली अब भी बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में हैं.
हो रही है ऑपरेशन की मॉनीटरिंग
झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा ऑपरेशन ऑक्टोपस की क्लोज मॉनिटरिंग कर रहे हैं. इसके अलावा 3 आईपीएस हर रोज चलने वाले ऑपरेशन की रणनीति बना रहे हैं. अभियान में झारखंड पुलिस, सीआरपीएफ, जगुआर एसॉल्ट ग्रुप, आईआरबी और कोबरा बटालियन के जवान शामिल हैं.
करीब 55 वर्ग किलोमीटर में फैला है बूढ़ा पहाड़
गौरतलब है कि, बूढ़ा पहाड़ करीब 55 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इसकी सीमा झारखंड के लातेहार, गढ़वा और छत्तीसगढ़ के बलरामपुर से सटी है. पिछले 2 दशकों से ये माओवादियों का सुरक्षित ठिकाना रहा है. 2018 में भी यहां सुरक्षाबलों ने बड़ा अभियान चलाया था. इस दौरान नक्सलियों के कई बंकर ध्वस्त किए गए थे, बड़े पैमाने पर नक्सली पकड़े भी गए थे. सुरक्षाबलों की नाकेबंदी के चलते वर्ष 2018 में बूढ़ा पहाड़ पर एक करोड़ के इनामी माओवादी अरविंद को बीमारी के दौरान बाहर से कोई सहायता नहीं मिल पाई थी और उसकी मौत हो गई थी. हालांकि, इस अभियान के दौरान सुरक्षाबलों को भी नुकसान हुआ था और 6 जवान शहीद हुए थे.
जारी है अभियान
अरविंद की मौत के बाद सुधाकरण और उसकी पत्नी को बूढ़ा पहाड़ का प्रभारी बनाया गया था. सुधाकरण ने 2 वर्ष पहले तेलंगाना में पूरी टीम के साथ पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. सुधाकरण के आत्मसमर्पण के बाद एक दर्जन अन्य कमांडरों ने धीरे-धीरे आत्मसमर्पण कर दिया. अभी यहां 30 से ज्यादा नक्सली हैं, जिन्हें टारगेट कर सुरक्षाबलों का अभियान जारी है. माओवादियों के खिलाफ झारखंड के दूसरे इलाकों में भी अभियान चलाया जा रहा है. इस दौरान पिछले हफ्ते सरायकेला-खरसावां और पश्चिमी सिंहभूम के सीमावर्ती क्षेत्र में कुचाई थाना क्षेत्र में 2 माओवादी मारे गए थे.
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