Ranchi News: झारखंड के संगीत और संस्कृति के संरक्षण के लिए काम करने वाले गायक महावीर नायक को शनिवार को पद्म पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई. उन्हें पद्मश्री दिया जा रहा है. इस पर महावीर नायक ने कहा कि उनकी कड़ी मेहनत का आखिरकार फल मिल गया. महावीर नायक कहते हैं कि यह सम्मान उन्हें राज्य की कला, संस्कृति और संगीत को संरक्षित करने के लिए प्रेरित करेगा. 


महावीर नायक को झारखंड में नागपुरी भाषा में भिंसरिया राग, फगुआ, पवास और मरदानी झुमर राग के लिए जाना जाता है. पीटीआई के मुताबिक नागपुरी भाषा में कविता और गाना लिखने के लिए मशहूर महावीर नायक ने कहा, ''मेरी कड़ी मेहनत का फल मिल गया.'' 82 वर्षीय महावीर नायक ने करीब 500 गानों को कंपोज किया और 1000 लोक गाने तैयार किए हैं. उन्होंने कहा, ''मैंने 100 कविता भी लिखी और 100 से ज्यादा गाने और कई कहानियां लिखी हैं. अब मैं 'गीत में स्वर' पुस्तक लिख रहा है. मेरी पुस्तक आखिरी दौर में है.''


अवार्ड से मिलेगी और काम करने की प्रेरणा- महावीर नायक


केंद्र  सरकार का आभार जताते हुए महावीर नायक ने कहा कि यह मेरे जैसे कई लोगों को कला और संस्कृति के संरक्षण के लिए प्रेरित करेगा. महावीर नायक ने बताया कि संगीत की प्रेरणा उन्हें अपने पतिा खुडु नायक से मिली जो कि झूमर के परफॉर्मर थे. उन्होने कहा कि मैंने रांची हेवी इजीनियंरिंग कॉर्पोरेशन में भी काम किया है. 1962 में यह संस्थान जॉइन किया था, लेकिन फिर अपने पैशन को फॉलो किया. 


युवाओं से महावीर नायक की यह अपील


नायक युवाओं से अपील करते हैं कि वे राज्य की कला और संस्कृति में रुचि लें और उसे आगे बढ़ाएं. आज की युवा पीढ़ी बॉलीवुड संगीत और नृत्य में ज्यादा रुचि लेते हैं.महावीर नायक ने कहा, ''मैं उनसे अपील करूंगा कि वे हमारी अपनी समृद्ध कला, संस्कृति और संगीत में रुचि लें. महावीर नायक ने कहा कि विभिन्न पीढ़ियों के बीच स्थानीय संगीत सभा जरूरी है और जैसा कि पहले होता था. यह हमारी समृद्ध संस्कृति को जानने और उसे संरक्षित करने में मदद करेगा.


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