Palamu Tiger Reserve में मिले बाघ के होने के सबूत, वैज्ञानिक तौर पर हुई पुष्टि...जानें- सबसे बड़ी बात
Jharkhand News: पलामू टाइगर रिजर्व में बाघ के होने की आधिकारिक और वैज्ञानिक पुष्टि हुई है. डब्लूआईआई देहरादून भेजे गए स्केट सैंपल में जांच के बाद इसकी पुष्टि की गई है.
Jharkhand Palamu Tiger Reserve: वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक उत्साहवर्धक खबर पलामू बाघ अभ्यारण्य (Palamu Tiger Reserve) से आई है. अभयारण्य की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार पलामू टाइगर रिजर्व में बाघ के मौजूदगी की वैज्ञानिक तौर पर पुष्टि हुई है. लातेहार के पलामू टाइगर रिजर्व के क्षेत्रीय निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि इस वन क्षेत्र में बाघ की मौजूदगी की पुष्टि देहरादून स्थित भारतीय वन्य प्राणी संस्थान ने की है. उन्होंने बताया कि पिछले साल 22 दिसंबर को यहां से बाघ का मल (स्केट) देहरादून स्थित वन्यप्राणी प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा गया था. उन्होंने बताया कि मल की जांच-पड़ताल के बाद संस्थान ने पुष्टि की है कि मल बाघ का ही है, जिससे प्रमाणित होता है रिजर्व में बाघ मौजूद हैं.
दिसंबर में भेजे गए थे सैंपल
क्षेत्र निदेशक ने बताया कि कुछ दिन पहले महुआडांड़ के जंगल में भी बाघ के बाल एवं मल प्राप्त हुए हैं. इसके अलावा उसके पद चिन्ह (पगमार्क) भी मिले हैं जिसे देहरादून वन्यप्राणी प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा जा रहा है. आपको बता दें, इससे पहले 18 दिसंबर को भी अभयारण्य की तरफ से जांच के लिए 6 स्केट के सैंपल भेजे गए थे. जिनमें से एक स्केट की बाघ के होने की पुष्टि हुई है और एक स्केट जेनेटिक रिपोर्ट के अनुसार तेंदुए का पाया गया है.
अभ्यारण्य को लेकर सरकार पर उठते रहे हैं सवाल
उल्लेखनीय है कि राज्य में बाघों के संरक्षण के लिए एकमात्र पलामू टाइगर रिजर्व है जहां बाघ की गैर मौजूदगी को लेकर बार-बार राज्य सरकार पर सवाल उठते रहे हैं. कुछ महीने पहले ही झारखंड उच्च न्यायालय ने भी रिजर्व में बाघों की गैर मौजूदगी पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि यदि बाघ नहीं हैं तो इससे बंद कर दिया जाना चाहिए, आखिर सार्वजनिक धन की बर्बादी का क्या मतलब है? लेकिन वन्य जीव संस्थान की तरफ से की गई पुष्टि ने अब अभयारण्य के भविष्य को लेकर एक उम्मीद की किरण जगा दी है.
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