Jharkhand News: फार्मासिस्ट के बिना दवा दुकान चलाने वाला फैसला वापस ले झारखंड सरकार, जानें- PCI ने क्या कहा?
Ranchi: पीसीआई अध्यक्ष ने सीएम सोरेन से कहा कि, पूर्वी सिंहभूम जिले के जिला प्रशासन की 13 जून 2023 की हालिया अधिसूचना को वापस लें और जनहित में झारखंड में फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन 2015 लागू करें.
Jharkahnd News: भारतीय भेषजी परिषद (Pharmacy Council of India) ने झारखंड सरकार से ग्रामीण क्षेत्रों में बगैर पंजीकृत फार्मासिस्टों के दवाई की दुकानें खोलने की अनुमति देने संबंधी अपने फैसले को वापस लेने का आग्रह किया है. दरअसल, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को लिखे पत्र में पीसीआई अध्यक्ष डॉ. मोंटू कुमार पटेल ने कहा कि, पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन की अधिसूचना फार्मेसी अधिनियम 1948 और फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन 2015 का उल्लंघन है.
पीसीआई अध्यक्ष ने आगे कहा कि, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि पूर्वी सिंहभूम जिले के जिला प्रशासन की 13 जून 2023 की हालिया अधिसूचना को वापस लें और जनहित में झारखंड में फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन 2015 लागू करें. पीसीआई अध्यक्ष ने कहा कि पहले फार्मेसी में कोई जानकारी या एजुकेशन नहीं रखने वाले किसी भी व्यक्ति के फार्मेसी के पेशे में आने पर कोई प्रतिबंध नहीं था. हालांकि, इस तरह की गैर-नियमित कार्यप्रणाली से लोगों के स्वास्थ्य को बहुत नुकसान हुआ. इसी के मद्देनजर फार्मेसी के पेशे और कार्यप्रणाली को विनियमित करने के लिए फार्मेसी अधिनियम, 1948 बनाया गया था.
फार्मेसी अधिनियम के उल्लंघन पर होगी इतनी सजा
डॉ. पटेल ने कहा कि, फार्मेसी अधिनियम की धारा 42 में कहा गया है कि, पंजीकृत फार्मासिस्ट के अलावा कोई भी व्यक्ति डॉक्टर के नुस्खे पर किसी भी दवा का मिश्रित, तैयार, मिश्रण या बिक्री नहीं करेगा और जो कोई भी इसका उल्लंघन करेगा उसे छह महीने की सजा हो सकती है. इसके साथ ही एक हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकती है. डॉक्टर पटेल ने कहा कि उस धारा के स्पष्ट प्रावधान को पहले ही सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा बरकरार रखा जा चुका है और यह 1984 से पूरे देश में लागू है.
यह भी पढ़ें-