NIA Probe In Ranchi Violence: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में सोमवार को एक जनहित याचिका दायर कर रांची (Ranchi) में हाल ही में हुई हिंसा की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) से कराने का अनुरोध किया गया. इस हिंसा में 2 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि दर्जन भर पुलिसकर्मियों सहित 20 से अधिक लोग घायल हो गए थे. 2 निलंबित बीजेपी नेताओं की तरफ से पैगंबर मोहम्मद (Prophet Muhammad) के खिलाफ कथित विवादास्पद टिप्पणी को लेकर रांची में शुक्रवार को विरोध-प्रदर्शन हिंसक हो गया था. हिंसा के बाद प्रशासन को शहर के कुछ हिस्सों में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू करनी पड़ी थी और इंटरनेट सेवाओं (Internet Services) को भी निलंबित कर दिया गया था. जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने एनआईए से जांच का अनुरोध करते हुए दावा किया है कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सहारनपुर से लोग हिंसा भड़काने के लिए रांची आए थे.
रांची हिंसा पर चढ़ा सियासी पारा
रांची में में हुए उपद्रव को लेकर राज्य का सियासी पारा भी चढ़ा हुआ है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) की तरफ से कहा गया है कि, कमजोर नेतृत्व के कारण ही रांची में हिंसा हुई, जिसमें 2 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. बीजेपी नेता रघुवर दास (Raghubar Das) ने आरोप लगाया था कि पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणियों के खिलाफ हुए प्रदर्शन के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से आगाह करने के बावजूद झारखंड सरकार पूरी तरह तैयार नहीं थी. उन्होंने कहा था कि पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने में विफल रही. हिंसा के पीछे प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है, उन्होंने इस संबंध में जांच की मांग भी की है.
बीजेपी ने सीएम हेमंत सोरेन को घेरा
रांची में हुई घटना को लेकर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी हेमंत सरकार पर निशाना साधा है. बाबूलाल मरांडी (Babulal marandi) ने ट्वीट कर कहा था कि, ''रांची में हुए हिंसा के बाद वैसे भी सरकार के प्रिय विधायक उपद्रवियों के परिजनों को 50 लाख मुआवजे की सिफारिश कर चुके हैं. कहीं इनके तुष्टिकरण की राजनीति में झारखंड आतंकियों का चारागाह न बन जाए! हेमंत सोरेन जी ऐसी क्षुद्र राजनीति छोड़कर साढ़े तीन करोड़ झारखंडियों की चिंता करिए.''
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