Tribal Pride Day: कई मायनों में अनूठा है रांची में बना बिरसा मुंडा स्मृति संग्रहालय, पीएम मोदी ने किया उद्घाटन
Birsa Munda Birth Anniversary: रांची में स्थापित इस संग्रहालय एवं उद्यान के निर्माण में कुल 142 करोड़ की लागत आई है. केंद्र और राज्य सरकारों ने सहयोग किया है. यह स्मृति स्थल कई मायनों में अनूठा है.
PM Narendra Modi Inaugurates Museum in Ranchi: अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आदिवासियों के उगलुगान (क्रांति) के प्रणेता बिरसा मुंडा ने जिस रांची जेल में अपने प्राण त्यागे थे, वहां लोग अब उनकी स्मृतियों को देख सकेंगे. केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त सहयोग से बिरसा मुंडा स्मृति संग्रहालय सह उद्यान बनकर तैयार हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बिरसा मुंडा (Birsa Munda) की जयंती के मौके पर आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रांची (Ranchi) में भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन किया है. इस दौरान अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि, आज से हर साल देश 15 नवंबर यानी भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाएगा.
142 करोड़ की आई लागत
रांची में स्थापित इस संग्रहालय एवं उद्यान के निर्माण में कुल 142 करोड़ की लागत आई है और इसमें केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारों ने सहयोग किया है. यह स्मृति स्थल कई मायनों में अनूठा है. यहां भगवान बिरसा मुंडा की 25 फीट ऊंचाई की प्रतिमा स्थापित की गई है, जिसका निर्माण जाने-माने मूर्तिकार श्री राम सुतार के निर्देशन में हुआ है. रांची शहर के बिल्कुल बीचो बीच स्थित इस परिसर में पहले सेंट्रल जेल हुआ करती थी, जिसे लगभग एक दशक पहले होटवार नामक स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया. अब ये पुरानी और ऐतिहासिक जेल परिसर ऐसे संग्रहालय के रूप में विकसित होकर तैयार है, जहां बिरसा मुंडा के साथ-साथ 13 जनजातीय नायकों की वीरता की गाथाएं प्रदर्शित की जाएंगी.
लगी हैं इनकी भी प्रतिमाएं
सिदो-कान्हू,नीलांबर-पीतांबर, दिवा किशुन, गया मुंडा, तेलंगा खड़िया,जतरा टाना भगत, वीर बुधु भगत जैसे जनजातीय सेनानियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अद्भुत लड़ाई लड़ी थी. इन सभी की प्रतिमाएं भी संग्रहालय में लगाई गई हैं. इन सभी के जीवन और संघर्ष की गाथा यहां लेजर लाइटिंग शो के जरिए लोगों प्रदर्शित की जाएंगी. जेल के जिस कमरे में बिरसा मुंडा ने अंतिम सांस ली थी, वहां भी उनकी एक प्रतिमा लगाई गई है. पास के स्थल को इस तरह विकसित किया गया है कि वहां बिरसा की जन्मस्थली उलिहातू की झलक दिखे.
ली गई है पुरातत्व विशेषज्ञों की मदद
जेल के एक बड़े हिस्से को अंडमान-निकोबार की सेल्युलर जेल की तर्ज पर विकसित किया गया है. इसकी दीवारों को मूल रूप में संरक्षित किया गया है. इसमें पुरातत्व विशेषज्ञों की मदद ली गई है. जेल का मुख्य गेट इस तरह बनाया गया है कि वहां 1765 के कालखंड की स्थितियां और उस वक्त आदिवासियों के रहन-सहन और जीवन शैली को जीवंत किया जा सके. जेल का अंडा सेल, अस्पताल और किचन को भी पुराने स्वरूप में संरक्षित किया जा रहा है.
इसकी भी मिलेगी झलक
संग्रहालय से जुड़े उद्यान में म्यूजिकल फाउंटेन, इनफिनिटी पुल और कैफेटेरिया का भी निर्माण कराया गया है. फाउंटेन के पास जो शो चलेगा, उसमें झारखंड के बाबाधाम देवघर, मां छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा, मां भद्रकाली मंदिर इटखोरी एवं पाश्र्वनाथ के दृश्य दिखेंगे. जेल के महिला सेल में महिला कैदियों के रहन-सहन की झलक मिलेगी. साथ ही जनजातीय महिलाओं के पारंपरिक जेवर, गहने, पहनावा को प्रदर्शित किया जाएगा.
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