Jharkhand: तमिलनाडु में बंधक बनाए गए झारखंड के 8 मजदूरों को पुलिस ने रेस्क्यू कर छुड़ाया, लोगों ने सुनाई आपबीती
Jharkhand News: बंधक बनाए गए आठ मजदूरों में 5 महिलाएं भी शामिल हैं. मजदूरों ने बताया कि उन्हें लगातार तीन दिनों तक एक कमरे में बंद कर दिया गया और न शौच जाने दिया गया और न ही भोजन.
Ranchi: तमिलनाडु में बंधक बनाए गए झारखंड के आठ मजदूरों को दुमका पुलिस ने तमिलनाडु पुलिस के सहयोग से रेस्क्यू करने में सफलता हासिल की है. बंधक बनाए गए आठ मजदूरों में 5 महिला मजदूर भी शामिल हैं. ये सभी मजदूर पिछले एक डेढ़ महीने से केरल की बिस्कुट फैक्ट्री में काम कर रहे थे, लेकिन इस दौरान वहां किसी वजह से काम खत्म होने के बाद उन्हें दूसरा काम कराने के लिए तमिलनाडु ले जाया गया, जहां इन मजदूरों को एक कमरे में तीन दिन तक बंद कर दिया गया. तीन दिनों तक इन्हें शौच के लिए भी बाहर नहीं निकलने दिया गया.
जबरन कराया जाता था ईंट भट्ठे का काम
26 जून को बंधक बनाए गए इन मजदूरों से जबरन ईंट भट्ठे का काम कराया जाता था और इन्हें काम के पैसे भी नहीं मिलते थे. पीड़ित मजदूरों ने किसी तरह अपने परिजनों तक संदेश भिजवाकर प्रशासन से मदद मांगने की गुहार लगाई. जब दुमका पुलिस को मामले की जानकारी दी गई तो पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तमिलनाडु पुलिस के सहयोग से आठों मजदूरों को मुक्त कराया.
पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर मजदूरों को छुड़ाया
पुलिस इन सभी मजदूरों को मुक्त कराकर दुमका लेकर आई और कागजी कार्रवाई के बाद इन्हें उनके परिजनों को सौंप दिया गया. दरअसल जरमुंडी थाना क्षेत्र के जनातन किस्कू में अहतू थाना में लिखित आवेदन दिया गया था कि जरमुंडी से कुछ लोग बिस्कुट फैक्ट्री में काम करने केरल गए थे. वहां कुछ दिन उन लोगों ने काम भी किया फिर सभी मजदूरों को वहां से दूसरी जगह भेज दिया गया, जहां इन सभी का मोबाइल और आधार कार्ड छीनकर बंधक बना लिया गया है. दुमका थाना प्रभारी श्वेता कुमारी ने तुरंत इस मामले की जानकारी तमिलनाडु पुलिस को दी. इस पूरे मामले पर दुमका एसडीपीओ नूर मुस्तफा ने कहा कि जैसे हमें यह जानकारी मिली कि दुमका के कुछ मजदूर बंधक बने हुए हैं , हमने तत्परता दिखाई जिस वजह से 4 दिनों के अंदर उन्हें वापस दुमका ला पाने में हम सफल रहे. बता दें कि झारखंड के संताल परगना की यह कोई पहली घटना नहीं है. यहां से बाहर काम करने वाले मज़दूर हमेशा ट्रेफिकिंग का शिकार बन जाते हैं. इससे पहले इसी दुमका के कई मजदूर महाराष्ट्र मे फंस गये थे जिन्हें महाराष्ट्र पुलिस के सहयोग से दुमका वापस लाया गया था.
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