Draupadi Murmu In Jharkhand: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने बुधवार (24 मई) को झारखंड हाई कोर्ट के नए भवन और परिसर का उद्घाटन किया. इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, सरकार और न्यायालय ऐसी व्यवस्था बनाए की लोगों को सही मायने में न्याय मिले. उन्होंने आगे कहा कि, बहुत से ऐसे लोग उनके पास आते हैं, जिनके हक में फैसला तो आ जाता है मगर सही मायने में उनको न्याय नहीं मिल पाता है. उन्होंने सरकार और न्यायालय को संबोधित करते हुए कहा कि ये जिमेदारी आपकी है. उन्होंने आगे कहा कि यहां पर भारत के मुख्य न्यायाधीश से लेकर झारखंड के मुख्य न्यायाधीश, केंद्रीय कानून मंत्री, सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट के जज और कई वकील मौजूद हैं. आप लोग मिल कर इसका रास्ता निकाले इसके लिए अलग कानून बनाना पड़े तो बनाया जाय, मगर यह सुनिश्चित होना चाहिए कि लोगों को न्याय मिल सके.


राष्ट्रपति ने समारोह को संबोधित करते हुए आगे कहा कि, बहुत से फैसले सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट से आते है जिनके हक में फैसला आता है, वे खुश होते है क्योंकि कई सालों के इंतजार, परिश्रम और बहुत पैसा खर्च कर चुके होते हैं. मगर 10-20 सालों के बाद उनको पता चलता है कि जिसके लिए वे खुश थे वो खुशी अब नहीं रही. वे फिर से दुखी हो जाते हैं महामहिम ने कहा कि वे एक छोटे से गांव से आती हैं. वे फैमली कॉन्सलिंग की सदस्य रह चुकी हैं. कुछ केस फाइनल करने के बाद वे उन लोगों के घर जाती थी कि फैसला आ जाने के बाद परिवार कितने खुश हैं. तब लोगों द्वारा बताया जाता था कि फैसला तो हमारे हक में आ गया मगर हमें न्याय नहीं मिल पाया. उन्होंने कहा कि वे नहीं जानती की ऐसे लोगों को न्याय कैसे मिलेगा. 


हमारी जिम्मेदारी है कि न्याय आम लोगों तक पहुंचे
राष्ट्रपति ने कहा कि यहां पर बहुत से जज, वकील, कानून के जानकार लोग बैठे है मुझे नहीं पता की रास्ता हैं या नहीं मगर आप लोग रास्ता निकाले अगर नियम नहीं है तो नियम बनाया जाए. भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ चंद्रचूड़ ने कहा कि ये हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि न्याय व्यवस्था को आम लोगों तक पहुंचाया जाए. उन्होंने कहा कि न्याय पालिका के भवन का बिस्तार होने से न्यायपालिका की प्रतिष्ठा बढ़ती है. उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिक अपने मुकदमे को लेकर न्यायालय में प्रवेश करता है. उनकी आस्था को कायम करना हमारी जिम्मेदारी होती है. उन्होंने आगे कहा कि पिछले सात सालों से सर्वोच्च न्यायालय के निजी अनुभव से मुझे न्याय और अन्याय का एहसास है. उन्होंने कहा कि सजा होने से पहले कई लोग छोटे अपराध के लिये जेल में बंद हैं उनके पास न ज्ञान है और न साधन ऐसे में उनका फैसला जल्द नहीं सुनाया जाएगा तो लोगों का विश्वास कैसे मजबूत होगा.


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