Politics Over Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) से पहले कांग्रेस नेता और प्रवक्ता अजय कुमार (Ajay Kumar) ने बयान देते हुए कहा है कि, एनडीए (NDA) की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu)"भारत की एक बहुत ही बुरी फिलोसफी" का प्रतिनिधित्व करती हैं. उन्होंने कहा कि उनकी उम्मीदवारी को "आदिवासियों का प्रतीक" नहीं बनाया जाना चाहिए. समाचार एजेंसी से बात करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि, "यह सिर्फ द्रौपदी मुर्मू के बारे में नहीं है. यशवंत सिन्हा भी एक अच्छे उम्मीदवार हैं. हमारे पास राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद हैं. फिर हाथरस जैसा कांड हुआ. क्या उन्होंने एक शब्द भी कहा? अनुसूचित जातियों की स्थिति और खराब हो गई है," कांग्रेस नेता के बयान पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता रघुवर दास ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. इतना ही नहीं बीजेपी ने इस मामले को लेकर ओडिशा, झारखंड (Jharkhand) और अन्य आदिवासी बहुल इलाकों में विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है.
'आदिवासियों की योग्यता पर सवाल उठा रहे हैं'
रघुवर दास ने ट्वीट कर कहा है कि, ''कांग्रेस हमेशा से आदिवासी, दलित, पिछड़ा, महिला विरोधी रही है. एक गरीब आदिवासी महिला को देश के सर्वोच्च पद पर जाने से रोकने के लिए कांग्रेस व उसके सहयोगी दल सारा जतन कर रहे हैं. अब अपने उम्मीदवार की हार पक्की देख आदिवासियों की योग्यता पर सवाल उठा रहे हैं.''
'कांग्रेसियों के पेट में दर्द हो रहा है'
इसी मामले पर बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने भी ट्वीट करते हुए कहा था कि, ''आज़ादी के बाद 54 साल से ज़्यादा देश पर हुकूमत करने वाले कांग्रेस ने आदिवासियों को क्या दिया? ये दुनिया जानती है, लेकिन आज भाजपा-एनडीए ने आज़ाद भारत में पहली बार किसी आदिवासी संताल महिला को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया है तो इन कांग्रेसियों के पेट में दर्द हो रहा है. कांग्रेस का यह सोच परिवारवादी सामंती मानसिकता का परिचायक है.''
कांग्रेस निराश और परेशान है
कांग्रेस नेता अजय कुमार के बयान पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी कहा है कि, ''आदिवासी वर्ग के एक व्यक्ति को राष्ट्रपति पद के लिए मनोनीत किए जाने से कांग्रेस निराश और परेशान है. ऐसे बयानों के लिए कांग्रेस पार्टी को देश से माफी मांगनी चाहिए.''
द्रौपदी मुर्मू का सियासी सफर
20 जून, 1958 को ओडिशा में एक साधारण संथाल आदिवासी परिवार में जन्मीं दौपदी मुर्मू ने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. वो 1997 में रायरंगपुर में जिला बोर्ड की पार्षद चुनी गईं. राजनीति में आने से पहले उन्होंने श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षका के और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में रूप में काम किया. वो ओडिशा में दो बार विधायक रही हैं और नवीन पटनायक सरकार में मंत्री के रूप में काम करने का भी मौका मिला, जब बीजेपी बीजू जनता दल के साथ गठबंधन में थी.
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