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Presidential Election 2022: दुविधा में JMM, पहला आदिवासी राष्ट्रपति बनाने में योगदान दें या निभाएं गठबंधन धर्म? 

Presidential Election: राष्ट्रपति चुनाव में आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) के नाम की घोषणा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha) के लिए दुविधा खड़ी कर दी है.

Jharkhand Mukti Morcha Stand in Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार के रूप में आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) के नाम की घोषणा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha) के लिए दुविधा खड़ी कर दी है कि वो देश को पहला आदिवासी राष्ट्रपति देने में अपना योगदान दे या फिर गठबंधन धर्म का पालन करे. मुर्मू मूल रूप से ओडिशा के मयूरभंज जिले की हैं और वो आदिवासी समुदाय संताल (संथाल) से ताल्लुक रखती हैं. झारखंड (Jharkhand) के राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल भी निर्विवाद रहा है जबकि संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) का भी झारखंड से गहरा नाता रहा है.

राष्ट्रीय राजनीति में बनाई पहचान 
बिहार की राजधानी पटना में जन्मे, सिन्हा हजारीबाग संसदीय सीट से चुनाव जीतकर ही केंद्र सरकार में वित्त और विदेश मंत्री बने और फिर राष्ट्रीय राजनीति में अपनी एक पहचान कायम की. वो 3 बार संसद में हजारीबाग क्षेत्र से बीजेपी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं जबकि पिछले 2 चुनावों में उनके पुत्र जयंत वहां से बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज कर रहे हैं.

नहीं सामने आई JMM की राय 
वर्तमान समय में झारखंड राज्य आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाला तथा आदिवासी अस्मिता हितैषी राजनीति करने वाला झामुमो राज्य सरकार का नेतृत्व कर रहा है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली इस सरकार को कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजग) का समर्थन हासिल है. मुर्मू की उम्मीदवारी की घोषणा के कुछ समय बाद ही आदिवासी बहुल राज्य ओडिशा की सत्ताधारी बीजू जनता दल (बीजद) ने उन्हें समर्थन देने की घोषणा कर दी. लेकिन अभी तक इस बारे में झामुमो की कोई स्पष्ट राय नहीं आई है कि वो दलित राष्ट्रपति के रूप में राजग उम्मीदवार का समर्थन करेगा या विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार सिन्हा के साथ जाएगा.

'पार्टी फोरम पर चर्चा होना बाकी है'
इस बारे में जब लोकसभा में झामुमो के एकमात्र सांसद विजय कुमर हंसदक से न्यूज एजेंसी ने बात की तो उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव पर पार्टी का जो भी रुख होगा, उससे जल्द ही सभी को अवगत करा दिया जाएगा. यह पूछे जाने पर कि क्या मुर्मू की उम्मीदवारी ने झामुमो के लिए दुविधा वाली स्थिति पैदा कर दी है तो उन्होंने कहा कि, ''पार्टी के लिए दुविधा वाली स्थिति क्यों होगी? पार्टी फोरम पर इस बारे में चर्चा होना अभी बाकी है.''

'हमारे समाज के लोग खुश हैं'
हालांकि उन्होंने राजग का उम्मीदवार घोषित किए जाने के लिए ''द्रौपदी मैम'' को बधाई दी और कहा कि, ''इस घोषणा से बिल्कुल हमारे समाज के लोग खुश हैं. इस बात को हम खुशी-खुशी स्वीकार भी करते हैं लेकिन जहां तक पार्टी की बात है तो कोई भी निर्णय लेने से पहले उस बारे में पार्टी में चर्चा होती है. बीजेपी ने कल ही अपने उम्मीदवार की घोषणा की है, कुछ समय इंतजार कर लीजिए. चर्चा के बाद आपको बता दिया जाएगा.''

संताल राजनीति का केंद्र रहा है
राजमहल झारखंड का सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र है और शुरू से ही यह संताल राजनीति का केंद्र रहा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस संसदीय क्षेत्र में 37 प्रतिशत आबादी आदिवासी, जिनमें अधिकांश संताल हैं. इसकी 6 में से 4 विधानसभा सीटें भी आरक्षित हैं. साल 2011 की जनगणना के अनुसार झारखंड की आबादी में आदिवासियों का हिस्सा 26.2 प्रतिशत है. संताल यहां सबसे अधिक आबादी वाली अनुसूचित जनजाति है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक यहां की कुल आदिवासी आबादी में करीब 31 प्रतिशत संताल हैं. अन्य में मुंडा, ओरांव, खरिया, गोड कोल कंवार इत्यादी शामिल हैं.

JMM के लिए परीक्षा की घड़ी 
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने न्यूज एजेंसी से कहा कि राष्ट्रपति का चुनाव झामुमो के लिए परीक्षा की घड़ी है.
उन्होंने कहा कि, ''झामुमो आदिवासियों की हितैषी होने का जो दावा करती है...इस समय उसके समक्ष परीक्षा की घड़ी है...कि वह जनजातीय समाज की एक महिला को सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बिठाना चाहता है या कांग्रेस के गोद में खेलना चाीहता है.'' उन्होंने कहा कि द्रौपदी मुर्मू एक सौम्य व मृदुभाषी आदिवासी महिला हैं, जिन्हें राजग ने सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए उम्मीदवार बनाया है. उन्होंने कहा कि ऐसे में देश के तमाम राजनीतिक दलों को उनका समर्थन समर्थन करना चाहिए और उनका निर्विरोध चुना जाना सुनिश्चित करना चाहिए. उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार सिन्हा को एक सुलझा हुआ नेता बताया और उनसे अनुरोध किया कि वह भी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर एक मिसाल कायम करें.

'निर्वाचन निर्विरोध हो'
रघुवर दास ने कहा कि, ''सिन्हा को झारखंड की जनता ने सांसद और मंत्री बनाया. वह सुलझे हुए नेता हैं. शरद पवार और फारुख अब्दुल्ला जैसे दिग्गज नेताओं ने जब विपक्ष का उम्मीदवार बनने से इनकार कर दिया तो आज की परिस्थिति को देखते हुए उन्हें भी एक मिसाल पेश करनी चाहिए.''
उन्होंने कहा कि वह तो सिन्हा के साथ ही सभी राजनीतिक दलों से अनुरोध करेंगे कि देश की भावी राष्ट्रपति के रूप में एक आदिवासी महिला की कद्र करें और उनका निर्वाचन निर्विरोध हो.

'राष्ट्रपति का चुनाव जातिगत आधार पर नहीं होता'
झामुमो की सहयोगी कांग्रेस की झारखंड इकाई के अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने न्यूज एजेंसी से कहा कि राष्ट्रपति का चुनाव जातिगत आधार पर नहीं होता है, इसलिए ऐसे प्रतिष्ठित पद के लिए होने वाले चुनाव में इस प्रकार की बात करना ही 'दुर्भाग्यपूर्ण' है. उन्होंने कहा कि, ''हम राष्ट्रीय पार्टी के लोग हैं और राष्ट्रीय सोच रखते हैं. हां, वह (मुर्मू) हमारी राज्यपाल रही हैं. हम उनका पूरा सम्मान करते हैं. यशवंत सिन्हा भी राज्य के कद्दावर नेता रहे हैं.'' सहयोगी झामुमो के रुख के बारे में पूछे जाने पर ठाकुर ने कहा कि इस बारे में तो वही कुछ बता सकते हैं. उन्होंने कहा, ''उनकी अपनी पार्टी है लेकिन फिलहाल वह संप्रग में है. वह सोच समझकर निर्णय लेंगे...यशवंत सिन्हा झारखंडी ही हैं, ऐसे में सबका दायित्व है...अगर कोई झारखंडी भाई देश का राष्ट्रपति बनता है तो सभी को गौरव होगा.''

क्या कहते हैं आंकड़े
झारखंड विधानसभा की 81 सीटों में झामुमो के 30, बीजेपी के 25, कांग्रेस के 16 और राजद का एक विधायक है. संसद में झामुमो के 2 सांसद हैं. लोकसभा से हंसदक हैं जबिक राज्यसभा में झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन पार्टी के प्रतिनिधि हैं. पिछले दिनों हुए राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में भी झामुमो की महुआ माझी निर्विरोध निर्वाचित हुई थीं. हालांकि, उन्होंने अभी तक राज्यसभा की सदस्यता ग्रहण नहीं की है. राज्यसभा की वेबसाइट पर भी उनका नाम अभी दर्ज नहीं है.

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