Jharkhand News: झारखंड (Jharkhand) के रामगढ़ (Ramgarh) जिले के विभिन्न मोहल्लों में आवारा कुत्तों का आतंक इस कदर बढ़ गया कि लोगों का घर से बाहर निकलना दूभर हो गया है. कई मोहल्लों में आवारा कुत्ते छोटे बच्चों को काट कर घायल कर चुके हैं. कई इन कुत्तों के काटने से मौत की नींद सो चुके हैं. इसके बाद भी शासन और प्रशासन द्वारा इन कुत्तों से लोगों को राहत दिलाने की कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है. आवारा कुत्तों से यहां लगभग हर गली मोहल्लों में रहने वाले लोग खासे दहशत में हैं.


आवारा कुत्तों के हमले के भय से छोटे बच्चों का बाहर खेलना भी बंद हो गया है. कई अभिभावक अपने बच्चों को कुत्तों के भय से स्कूल भेजने में भी चिंतित रहते हैं. बच्चों को साथ लाते वक्त हाथ में डंडा होने के बाद भी चेहरों पर भय की लकीरें स्पष्ट दिखाई पड़ती हैं. रामगढ़ के छावनी परिषद क्षेत्र में वार्ड नंबर पांच में सिर्फ एक सप्ताह के भीतर ही आधा दर्जन से अधिक बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं को कुत्तों ने अपना शिकार बनाया है. आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ जाने से शहर के लोगों में जगह जगह भय का वातावरण बना हुआ है.


साल करीब रेबीज के कारण मरते हैं 20 हजार लोग
रामगढ़ की महिलाओं का कहना था कि आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ जाने से उन्हें हर समय घर के दरवाजे बंद रखने पड़ रहे हैं. इन दिनों आवारा कुत्तों की भीड़ अचानक टूट पड़ने से बच्चों का भी घर के बाहर खेलना और घूमना बंद हो गया है. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता बलजीत सिंह बेदी का  का कहना है कि छावनी क्षेत्र में आवारा कुत्तों की समस्या का निदान करने के लिए कई बार सुझाव दिया गया है. पर अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं होने से लोगों में आवारा कुत्तों का भय दूर नहीं हो रहा है. बता दें कि मेडिकल जर्नल लैंसेट में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में हर साल करीब 20 हजार लोग रेबीज के कारण मरते हैं.


इनमें से ज्यादातर रेबीज के मामले कुत्तों के काटने से इंसानों तक पहुंचते हैं.  मतलब यह है कि ये बड़ी गंभीर समस्या है और इससे निपटने के लिए शासन और प्रशासन को गंभीर होना पड़ेगा नहीं तो यह आने वाले समय में गंभीर स्थिति को जन्म देगा, जो बड़ा परेशानी का सबब बनेगा .


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