Jharkhand: हाईकोर्ट ने झारखंड पुलिस की समझ पर खड़े किए सवाल, पूछा- सिर्फ कागजों पर ट्रेनिंग हो रही है क्या?
Jharkhand High Court on Jharkhand Police: हाईकोर्ट ने कहा था कि झारखंड पुलिस भी कानून पूरी तरह से नहीं जानती है. ऐसे में जरूरी है कि सरकार पुलिस को कैप्सूल कोर्स कराए.
Jharkhand News: झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने राज्य पुलिस (Jharkhand Police) की कानूनी समझ पर सवाल खड़ा किया है. कोर्ट ने सोमवार को हैबियस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार (Jharkhand government) से पूछा कि आईपीसी (IPC), सीआरपीसी (CRPC) और कानूनी पहलुओं की बुनियादी जानकारी के लिए पुलिसकर्मियों को समुचित ट्रेनिंग दी जा रही है या नहीं? या फिर यह काम सिर्फ कागजों पर ही हो रहा है? जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सरकार को एक एफिडेविट के जरिए इस बारे में पूरी जानकारी अदालत में पेश करने को कहा है. इस मामले की अगली सुनवाई कोर्ट ने 10 जनवरी को तय की है.
क्या था मामला
यह मामला झारखंड के बोकारो से लॉ के एक स्टूडेंट को मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर ले जाने जाने से संबंधित है. वर्ष 2021 में 24 नवंबर को मध्य प्रदेश पुलिस ने बोकारो से लॉ छात्र को गिरफ्तार किया था, लेकिन परिजनों को इसकी पूरी जानकारी नहीं दी गयी. इस मामले में छात्र के परिजनों द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया है कि छात्र की गिरफ्तारी के वक्त पुलिस के पास सिर्फ सर्च वारंट था, जबकि अरेस्ट वारंट अनिवार्य है.
वकील ने क्या कहा
मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने कहा कि जस्टिस डीके वासु के आदेश का भी पुलिस ने इस दौरान उल्लंघन किया है. गिरफ्तारी के वक्त पुलिस को यूनिफॉर्म के साथ आधिकारिक वाहन में होना चाहिए, लेकिन छात्र की गिरफ्तारी के वक्त इन नियमों का उल्लंघन किया गया.
क्या कहा कोर्ट ने
इस मामले में पूर्व की सुनवाई में हाईकोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा था कि झारखंड पुलिस भी कानून पूरी तरह से नहीं जानती है. कानून के प्रति पुलिस वालों को ट्रेन करना चाहिए. ऐसे में जरूरी है कि सरकार पुलिस को कैप्सूल कोर्स कराए. हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि दूसरे राज्य की पुलिस झारखंड से व्यक्ति को पकड़ कर ले गई लेकिन, कस्टडी में लेकर ट्रांजिट परमिट तक नहीं ली गयी. दूसरे राज्य ले जाने के संबंध में कोर्ट का ऑर्डर भी नहीं है. अगर पुलिस को सूचना थी तो जाने कैसे दिया गया. मध्य प्रदेश की पुलिस की गलती जितनी है, उतनी ही गलती मामले में झारखंड पुलिस की भी है. जानबूझ कर पुलिस ने अभियुक्त को जाने दिया.