(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Ranchi News: रांची के 331 साल पुराने मंदिर में चमत्कार! फर्श हो जाता है इतना गर्म कि पिघल जाती है घी, पुजारी भी हैरान
Jharkhand: पुजारियों ने कहा कि विजयदशमी के बाद से मंदिर के फर्श में गर्माहट महसूस की जा रही है. फर्श इतना गर्म होता जा रहा है कि वहां घी रखने पर पिघल जाती है.
Jharkhand Jagannathpur Temple: झारखंड की राजधानी रांची के सैकड़ों साल पुराने एक मंदिर में कुछ ऐसा हुआ कि लोग हैरान रह गए. करीब 331 साल पुराने जगन्नाथपुर मंदिर परिसर के गर्भगृह का फर्श गर्म हो रहा है और इस घटना ने भक्तों को हैरान किया है. वहीं मंदिर के पुजारी भी अचंभित नजर आ रहे हैं. इस विजयादशमी से ही मंदिर का फर्श गर्म हो रहा है. फर्श अचानक गर्म होने लगा है. फर्श के इस तरह से गर्म होने को कुछ लोग चमत्कार मान रहे हैं तो वहीं मंदिर परिसर से जुड़े लोग इस बात को लेकर अचंभित हैं. मामले की जानकारी होने पर खान विभाग ने मंदिर परिसर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है.
पुजारी ने क्या बताया
मंदिर के पुजारी ने बताया, “फर्श इतना गर्म होता जा रहा है कि वहां घी रखने पर वह पिघल जाती है. गर्भ गृह में उत्तर छोर का फर्श पिछले कुछ दिनों से गर्म हो रहा है. वहां के पुजारी और श्रद्धालु बड़े खतरे की आशंका जता रहे हैं. पुजारियों के अनुसार विजयदशमी के बाद से मंदिर के फर्श में गर्माहट महसूस की जा रही है. वहीं खान विभाग के डायरेक्टर विजय ओझा ने कहा कि, जमीन के अंदर कई रेडियोएक्टिव मैटेरियल होते हैं जिस कारण रेडिएशन होता है और खास स्थान गर्म होने लगता है. हलांकि इस घटना के बाद जिला प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया है. अब जल्दी ही जगन्नाथपुर मंदिर में जियोलॉजिस्ट की टीम भेजकर इसकी जांच कराई जाएगी.
जगन्नाथपुर मंदिर के मुख्य पुरोहित रामेश्वर पानी ने दी ये जानकारी
जगन्नाथपुर मंदिर के मुख्य पुरोहित रामेश्वर पानी ने बताया कि, वर्ष 2,000 में भगवान जगन्नाथ के गर्भ गृह का निर्माण नए सिरे से किया गया था. फर्श पर ग्रेनाइट लगाया गया है लेकिन विजयादशमी के एक-दो दिन बाद से फर्श अचानक लगातार गर्म होता जा रहा है. उन्होंने इसकी जानकारी होने पर अन्य पुजारियों और मंदिर समिति के सदस्यों को भी इसकी जानकारी दी. मंदिर न्यास समिति के सदस्यों और अन्य पुजारियों ने भी गर्भगृह के फर्श के गर्म होने की घटना को महसूस किया.
1691 में हुआ निर्माण
राजधानी रांची के धुर्वा स्थित जगन्नाथपुर मंदिर का निर्माण सन 1691 में नागवंशी राजा ठाकुर एनी नाथ शाहदेव ने किया था. मंदिर का स्वरूप पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तरह बनाया गया है. इस मंदिर का निर्माण एक छोटी पहाड़ी पर किया गया है जिसकी ऊंचाई लगभग 85-90 मीटर है. निर्माण काल से लेकर आज तक मंदिर की संरचना में कई बदलाव किये गये हैं.
भूवैज्ञानिक ने क्या कहा
वहीं भूवैज्ञानिक नीतिश प्रियदर्शी के मुताबिक, जगन्नाथपुर मंदिर पहाड़ की चट्टान पर बना हुआ है. पत्थरों में कई जगह दरारें हैं. मौसम में बदलाव के कारण ऐसा हो रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर की जमीन के अंदर गैस रिलीज हो रही होगी इसके असर से गर्भ गृह के फर्श पर गर्मी महसूस होती होगी. हालांकि जब तक इसकी पूरी जांच नहीं की जाती तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है.