Parasnath Hill in Jharkhand: पारसनाथ पहाड़ी सम्मेद शिखर और उसकी तराई में स्थित मधुवन को पर्यटन स्थल (Tourist Destination) घोषित करने की अधिसूचना वापस लेने की मांग पर झारखंड (Jharkhand) के रांची (Ranchi) में जैन समाज (Jain Community) के लोगों ने मंगलवार को विशाल मौन जुलूस के साथ राजभवन मार्च किया. जैन समाज ने राज्यपाल रमेश बैस (Governor Ramesh Bais) को अपनी भावनाओं से अवगत कराते हुए एक ज्ञापन सौंपा. इसमें कहा गया है कि जैनियों के इस सर्वोच्च तीर्थस्थल को पर्यटन स्थल बनाने से यहां की पवित्रता भंग होगी. देश-विदेश के जैन धर्मावलंबी चाहते हैं कि इसे तीर्थस्थल ही बनाए रखा जाए. 


मौन जुलूस रांची के अपर बाजार स्थित जैन मंदिर से निकलकर लगभग दो किलोमीटर दूर राजभवन तक पहुंचा. इसमें बड़ी संख्या में स्त्री-पुरुष शामिल रहे. दिगंबर जैन समाज के पूर्व मंत्री दिगंबर सेठी ने कहा कि पिछले कई महीनों से देश-विदेश के लोग इस मुद्दे पर आंदोलित हैं, लेकिन अब तक सरकार की ओर से उनकी मांग पर कोई ठोस पहल नहीं हुई है.


क्या कहना है जैन समाज का
पारसनाथ पहाड़ी दुनिया भर के जैन धर्मावलंबियों के बीच सर्वोच्च तीर्थ सम्मेद शिखर के रूप में विख्यात है. जैनियों के 24 में से 20 तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि होने से यह उनके लिए पूज्य क्षेत्र है. जैन समाज का कहना है कि पर्यटन स्थल घोषित होने से इस पूज्य स्थान की पवित्रता भंग होगी. मांस भक्षण और मदिरा पान जैसी अनैतिक गतिविधियां बढ़ेंगी और इससे अहिंसक जैन समाज की भावना आहत होगी.


क्या है विरोध की वजह
पारसनाथ झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी है, जो चारों ओर वन क्षेत्र से घिरा है. पहाड़ी की तराई में जैनियों के दर्जनों मंदिर हैं. 2 अगस्त 2019 को झारखंड सरकार की ओर से की गई अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्रालय ने पारसनाथ के एक हिस्से को वन्य जीव अभ्यारण्य और इको सेंसिटिव जोन के रूप में नोटिफाई किया है. झारखंड सरकार ने भी इसे अंतरराष्ट्रीय महत्व का पर्यटन स्थल घोषित किया है.


क्या कहना है राज्यपाल का
बता दें कि झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने कहा है कि राज्य की पारसनाथ पहाड़ी और उसकी तराई में स्थित मधुवन को राजकीय तौर पर पर्यटन स्थल के बजाय पवित्र तीर्थ स्थल ही रहने दिया जाना चाहिए. उन्होंने इसे लेकर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को पिछले दिनों एक पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि जैन धर्मावलंबियों की भावनाओं और आस्था को ध्यान में रखते हुए इस स्थान को पर्यटन स्थल घोषित करने के निर्णय की फिर से समीक्षा की जानी चाहिए.


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