Jharkhand News: ईडी (ED) ने अब सेना के कब्जे वाली जमीन के असली रैयत जयंत करनाड सहित 15 लोगों को समन भेजकर 10 मई यानी आज पूछताछ के लिए बुलाया गया है. जिन लोगों को समन बेजा गया है, उनमें जयंत करनाड से जमीन खरीदने वाले 13 लोग और नगर निगम के टैक्स कलेक्टर दिलीप शर्मा शामिल हैं. दरअसल, इन सभी लोगों से सेना के कब्जे वाली जमीन की खरीद-बिक्री से जुड़े तथ्यों पर पूछताछ होगी. जमीन मालिक जयंत करनाड ने साल 2007 में अपनी जमीन सेना से मुक्त कराने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. 11 मार्च 2009 को पारित आदेश में अदालत ने जमीन जयंत करनाड को वापस करने के लिए कहा था. यह फैसला जयंत करनाड के पक्ष में रहा.


दरअसल, जयंत करनाड ने साल 2019 में सेना की कब्जे वाली उक्त जमीन को 13 लोगों में बेच दी थी. इसके बाद फिर इसी जमीन को प्रदीप बागची ने भी जगतबंध टी इस्टेट को बेच दी थी. बता दें कि, रांची के पूर्व डीसी और संस्पेंडेड आईएएस छवि रंजन से कल पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आईएएस छवि रंजन जमीन की फर्जी रजिस्ट्री मामले में बिचौलियों के जरिए पैसा लेता है. इस मामले में आरोपी विपिन सिंह ने ईडी को बताया है कि छवि रंजन फर्जी कागजात बनाने के मास्टरमाइंड अफसर अली से सीधे संपर्क में था. 


पूछताछ में क्या कहा छवि रंजन ने?
रांची जमीन घोटाला मामले में ये बातें भी सामने आई है कि आईएएस अधिकारी छवि रंजन अफसर अली के संपर्क में था. अली ने एक नहीं बल्कि कई जमीन के फर्जी कागजात बनाए. इस बात की जानकारी छवि रंजन को थी. इन जमीनों को लेकर बिचौलिए के तौर पर विपिन सिंह ने डीसी छवि रंजन तक पैसे पहुंचाए थे. इस मामले में जब ईडी के अधिकारियों ने छवि रंजन से पूछा कि अफसर अली का तो यह कहना है कि अमित अग्रवाल और प्रेम प्रकाश की मौजूदगी में बतौर डीसी उन्होंने बड़गाईं सीओ मनोज कुमार को बुलाकर सेना जमीन में जगतबंधु टी इस्टेट को जमीन बेचने और प्रदीप बागची के पक्ष में सत्यापन रिपोर्ट देने को कहा था, लेकिन अपने जवाब में आईएएस छवि रंजन ने इससे साफ इनकार कर दिया.



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