Jharkhand News: झारखंड के सरायकेला जिले में कई सालों से आंदोलनरत चांडिल डैम के विस्थापितों ने शनिवार को आदित्यपुर स्थित सुवर्णरेखा के प्रशासक कार्यालय गेट पर प्रोटेस्ट किया. विस्थापितों का नेतृत्व कर रहे राकेश रंजन ने कहा कि, सुवर्णरेखा परियोजना के अधिकारी 40 साल से हमारे पूर्वजों को ठग रहे हैं. हमारे पूर्वज से जबरन जमीन छीन लिया गया और बदले में विकास पुस्तिका थमा दी गई, लेकिन विकास पुस्तिका के अनुसार नौकरी नहीं दी गई. जमीन का मुआवजा नहीं दिया गया. अब तक डैम के अधीन आने वाले 116 गांव और 84 मौजा के लोगों को पुनर्वासित नहीं कराया गया है.
वर्तमान में सुवर्णरेखा प्रशासन 185 आरएल जल संग्रहण का निर्णय ले ली है, जिसका मतलब 60 गांव पूी तरह से डूब जाएंगे. ऐसे में अब हम लोगों ने अंतिम लड़ाई का निर्णय लिया है. यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाता है. जरुरत पड़ी तो हम लोग डैम का सभी फाटक खोलकर डैम खाली करेंगे और अपनी-अपनी जमीन पर खेती करेंगे. बता दें कि सुवर्णरेखा प्रशासक कार्यालय पर ही मनोहर महतो नामक विस्थापित पिछले छह महीने से धरना पर बैठे हैं. इन सभी मामलों का निष्पादन एक महीने में नहीं हुआ तो अब विस्थापित करो या मरो की लड़ाई लड़ने को मजबूर होंगे.
दरअसल, अखिल झारखंड विस्थापित अधिकार मंच के बैनर तले 84 मौजा के 116 गांव के विस्थापित पुराना कार्यालय परिसर चांडिल में 16 दिन से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. विगत 129 दिन से गोविंदपुर खीरी निवासी मनोहर महतो आदित्यपुर विकास भवन पुनर्वास कार्यालय के सामने अनशन पर बैठे हैं. वहीं विभाग न कोई बात कर रही है और न ही विस्थापितों की मांगों पर कोई सुनवाई हो रही है. इसलिए सभी विस्थापितों ने आरपार के मूड में अंतिम लड़ाई की पूरी तैयारी करके बैठे हैं. चरणबद्ध तरीके से लड़ाई चल रही है और आंदोलन के दूसरे चरण में आदित्यपुर कार्यालय का गेट जाम और तालाबंदी का कार्यक्रम किया गया. आंदोलन के तीसरे चरण 5 जुलाई को इचागढ़ विधायक सविता महतो और जल संसाधन विभाग मंत्री और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन किया जाएगा. साथ ही धरना स्थल से चांडिल बांध तक विस्थापित महारैली का कार्यक्रम रखा गया है.
विस्थापितों की मांग
1- चाण्डिल डैम के पूर्ण एवं आंशिक रूप से 116 विस्थापित गांवों का भूर्जन वर्ष 2001 तक सम्पन्न किया जा चुका है, परन्तु अभी तक पूर्ण नियोजन प्राप्त नही हुआ है, अत: विकासपुस्तिका में अंकितनुसार प्रत्येक विस्थापित परिवार को सरकारी नौकरी दिया जाए. अथवा उच्चतम न्यायालय द्वारा 8 फरवरी 2017 को मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर परियोजना के प्रत्येक विस्थापित परिवार के लिए 60 लाख रुपए मुआवजा देने आदेश के तर्ज पर चांडिल डैम विस्थापितों को एक करोड़ मुआवजा दिया जाए.
1990 के पूर्नवास नीति के अनुसार सभी विस्थापितों को पूनर्वास के लिए 25 डिसमिल भूखंड दिया जाना था पर पुनरीक्षित पुनर्वास नीति 2012 के प्रावधानों (कंडिका-5.1 (क) के मुताबिक, अब 12.5 डिसमिल दिया जाना है. जिसे पुन: 25 डिसमिल किया जाए.
2- 28 सितंबर 2022 को अनशन के दौरान ट्रैक्टर द्वारा कुचले जाने से घायल हुए व्यक्तियों को मुआवजा और नौकरी दी जाए.
3- हमारी बातचीत सार्वजनिक रूप से 116 गांव के प्रतिनिधिमंडल के साथ सिर्फ केंद्रीय टीम और केंद्रीय जल संसाधन विभाग के साथ ही किया जाए.
4- चांडिल डैम के माध्यम से सृजित होने वाले हर योजना ,रोजगार और लाभ का पहला अधिकार चांडिल डैम विस्थापित को प्राप्त होना चाहिए.
5- जब तक हमारी मांग पूरी नहीं की जाती चांडिल डैम का जल भंडारण 177 मीटर रखा जाए और 177 मीटर तक जलस्तर बढ़ाने से पहले डूबे क्षेत्र में प्रशासनिक जन सूचना जारी हो.