हजारीबाग: झारखंड के हजारीबाग बंदोबस्त कार्यालय के दो कर्मचारियों को सर्वे के लिए मांडू भेजा गया था. वहां दोनों ने 28.43 एकड़ जमीन खुद और अपने रिश्तेदारों के नाम करा ली. इस जमीन की कीमत करीब 35 करोड़ रुपये बताई जा रही है.जिस जमीन का घोटाला हुआ है, गैरमजरुआ है. इस जमीन की खरीद-फरोख्त नहीं हो सकती है.यह गड़बड़ी तब पकड़ में आई जब ग्रामीणों की शिकायत पर इस मामले की जांच कोरोना काल में कराई गई. अधिकारियों का कहना है कि सरकारी संपत्ति को हड़पने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. लेकिन अभी तक इस मामले में किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
किन कर्मचारियों ने किया है यह कारनामा
मिली जानकारी के मुताबिक राजेंद्र यादव और पप्पू यादव नाम के दो कर्मचारियों के नेतृत्व में एक टीम को सर्वे के लिए रामगढ़ के मांडू अंचल के कोतरे और पंचड़ा भेजा गया था.जमीन का सर्वे करने की जगह राजेंद्र यादव ने 11.08 करोड़ मूल्य की नौ एकड़ जमीन और पप्पू गोप ने 23.92 करोड़ रुपये कीमत की 18 एकड़ जमीन अपने ही नाम करा ली. यह हेराफेरी सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी मनोज कुमार दीक्षित और पेशकार विनोद शाह के कार्यकाल में हुई.
मांडू के ग्रामीणों ने इसकी शिकायत रामगढ, हजारीबाग के डीसी और बंदोबस्त पदाधिकारी हजारीबाग से की थी. ग्रामीणों ने इस मामले की जांच की मांग की थी. इसके बाद हुई जांच में इस घोटाले का पता चला. इसके बाद भी अभी तक किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है.
कैसी जमीन अपने नाम कराई है
उत्तर छोटानागपुर के प्रमंडल के आयुक्त चंद्रकिशोर उरांव का कहना है कि सरकारी संपत्ति हड़पने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. मांडू में बंदोबस्त कर्मचारियों ने जमीन का सर्वे किया था.यहां साविक खाता नंबर-1 और 6 की जमीन गैरमजरुआ है. इस प्रतिबंधित जमीन की खरीद-फरोख्त नहीं हो सकती है. यह जमीन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सरकार की संपत्ति होती है.लेकिन बंदोबस्त कार्यालय के कर्मचारियों ने जमीन माफियाओं की सांठगांठ से उसे अपने नाम करा लिया.
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