शिबू सोरेन के सरकारी आवास को नया रुप देगी झारखंड सरकार
हेरिटेज बिल्डिंग के रुप में विकसीत होगा पुर्व मुख्यमंत्री का आवास, झारखंड राज्य की मांग को लेकर किए संघर्षों की होगी प्रदर्शनी, 6 महीने में पूरा होगा काम, 4.59 करोड़ रुपए होंगे खर्च.
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Jharkhand News: झारखंड सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ती मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन के सरकारी आवास को हेरिटेज बिल्डिंग में बदलने का फैसला किया है. इसके लिए सरकार 4.59 करोड़ रुपए खर्च करेगी. झारखंड के भवन और निर्माण विभाग के ई-प्रोक्योरमेंट सेल द्वारा मंगलवार को 'विनिर्माण और स्थापन' काम के लिए टेंडर का विज्ञापन जारी किया गया.
पूर्व मुख्यमंत्री के दिखाए जाएंगे संघर्ष
तीन बार मुख्यमंत्री रहे शिबु सोरेन अभी राज्य सभा सांसद हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में वे अपनी दुमका सीट हार गए थे. जिस आवास को हेरिटेज बिल्डिंग के रुप में विकसीत किया जाएगा उसमें झारखंड को राज्य का दर्जा दिलाने में पुर्व मुख्यमंत्री के संघर्ष को दिखाया जाएगा. शिबु सोरेन के बेट हेमंत सोरेन अभी झारखंड के मुख्यमंत्री हैं.
सरकार द्वारा ने जारी किया नोटिस
मंगलवार को सरकार के द्वारा जारी नोटिस में कहा गया कि 'मोराबाड़ी रांची स्थित पूर्व मुख्यमंत्री के मुख्य आवास को हेरिटेज बिल्डिंग का विनिर्माण और स्थापन होगा.' ये कार्य 6 महीनों में पुरा कर लिया जाएगा. भवन निर्माण विभाग के सचिव सुनिल कुमार ने बताया कि ये निर्णय राज्य सरकार द्वारा नहीं बल्कि विभाग द्वारा लिया गया है.
अलग राज्य की मांग को लेकर किया संघर्ष
सरकार चाहती है कि शिबु सोरेन के आवास को एक ऐसी जगह के रुप में विकसीत किया जाए जहां उनके द्वारा अलग राज्य की मांग को लेकर किए गए संघर्षों को दिखाया जा सके. जिसमें झारखंड के संग्राम से जुड़े तथ्य, चित्र और शिल्पकृति प्रदर्शित की जाएंगी. भवन निर्माण विभाग द्वारा इसके इंफ्रास्ट्रचर को तैयार किया जाएगा और इसको शुरु करने की प्रक्रिया विभिन्न विभागों द्वारा पूरी होगी.
कैसे शुरु की राजनीति?
अपने पिता की हत्या के बाद शिबु सोरेन ने पहली बार राजनीति में कदम रखा था. तब उन्होंने आदिवासियों की जमीन को लेकर धरना दिया था. उन्होंने 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया। वे पहली बार 1980 में दुमका लोकसभा से सांसद चुने गए थे। उन्हें मनमोहन सिंह की सरकार में कोयला मंत्री बनाया गया. साल 2006 में उनपर अपने सचिव शशिनाथ झा के अपहरण और हत्या का आरोप लगा। लेकिन बाद उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें बरी कर दिया गया।
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